Muzaffarpur: 'स्पीड गवर्नर' धोखा, बसों की बेलगाम रफ्तार से जा रही जान
लंबी दूरी की बसें सरकार द्वारा तय रफ्तार से कई गुना तेज चलती हैं। नतीजा हादसे होते और कई जिंदगियां बर्बाद होती हैं। लंबी दूरी की बसों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की हो रही अवहेलना परमिट के बिना कई राज्यों की लांघ रहे सीमा गर्म होती अधिकारियों की जेब
मुजफ्फरपुर, जासं। सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार है। लंबी दूरी की बसों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, जयपुर, जमशेदपुर, रांची, सिलीगुड़ी आदि की बसों में स्पीड नियंत्रण को लगे 'स्पीड गवर्नर' महज धोखा है। लंबी दूरी की बसें सरकार द्वारा तय रफ्तार से कई गुना तेज चलती हैं। नतीजा हादसे होते और कई जिंदगियां बर्बाद होती हैं।
परिवहन विभाग ने बसों की गति तय करते हुए इसे नियंत्रित करने के लिए सभी कामर्शियल एवं निजी वाहनों में 'स्पीड गवर्नर' लगाने की व्यवस्था की थी। यह हकीकत में धोखा बनकर रह गई है। अधिकतर वाहनों मेें यह लगाए तो गए हैं, लेकिन जुगाड़ तकनीक से इसे शिथिल कर दिया गया है। इससे वाहनों की तेज रफ्तार पर अंकुश नहीं लग पा रहा और हादसे हो रहे हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने बस समेत सभी व्यावसायिक वाहनों की अधिकतम रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा तय की थी। स्थिति यह है कि दिल्ली समेत लंबी दूरी की अधिकतर बसें 140-150 की स्पीड से चलती हैं। वहीं अन्य बसों का परिचालन भी 100-120 तक होता है। ऐसे में हादसों का होना स्वाभाविक है।
परिवहन विभाग की मानें तो बस समेत अधिकतर कामर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर लग चुके हैं। हर वाहन के लिए अलग-अलग स्पीड तय की गई है। बस समेत सभी व्यावसायिक वाहनों के लिए 60 किमी प्रतिघंटा व सवारी वाहनों के लिए 80 किमी प्रतिघंटा गति तय की गई है।
चार दर्जन से अधिक चल रहीं दिल्ली की बसें
बैरिया समेत विभिन्न जगहों से प्रतिदिन चार दर्जन से अधिक बसों का परिचालन दिल्ली के लिए हो रहा है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, जयपुर आदि राज्यों में यहां से बसों का परिचालन हो रहा है। विडंबना यह है कि अधिकतर के पास परमिट नहीं है। इसके बाद भी ये बसें आसानी से कई राज्यों की सीमा को लांघ रही हैं। ऊंचे रसूख व अधिकारियों की जेब गरम कर ये बसें आसानी से चल रही हैैं। इनकी रफ्तार 140 से 150 तक होती है। एक या दो चालकों के सहारे लंबी दूरी तय होती है। इससे चालक की जरा सी चूक कई की जिंदगी खत्म कर रही है। बैरिया बस पड़ाव में इन बसों के कई अवैध काउंटर खुले हैं। इसके साथ ही कई बसें ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क किनारे खड़ी करके वहीं से परिचालन हो रहा है। उत्तर बिहार में इन बसों के अवैध कारोबार का जाल बिछा है। बैरिया में तो इन बसों से अक्सर जाम की स्थिति रहती है। इनके रसूख के आगे सब मौन हैं।
- परिवहन कानून को सख्ती से लागू करने के लिए विभाग द्वारा नियमित जांच की जा रही है। कानून उल्लंघन पर जुर्माना भी हो रहा है। इसे तेज किया जाएगा। -लाल ज्योति नाथ शाहदेव, डीटीओ