Darbhanga: रेमडेसिविर के काले धंधे में जा रही जान, सिस्टम की पहुंच से दूर जान के सौदागर

Bihar News पर्ची पर नहीं कतिपय निजी अस्पतालों में मरीज के स्वजनों को बस मौखिक तौर पर दी जा रही जानकारी अस्पताल के कथित रजिस्टर पर दर्ज किया जा रहा नाम हाल में एक पुलिस अधिकारी की पत्नी की जा चुकी है जान।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 12:40 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 12:40 PM (IST)
Darbhanga: रेमडेसिविर के काले धंधे में जा रही जान, सिस्टम की पहुंच से दूर जान के सौदागर
रेमडेस‍िव‍िर इंजेक्‍शन की काला बाजारी से बढ़ी लोगों की परेशानी। प्रतीकात्‍तक तस्‍वीर

दरभंगा, [संजय कुमार उपाध्याय ] । शहर का बेंता चौक। लॉकडाउन के बीच सड़क पर पसरा सन्नाटा। सन्नाटे के बीच सड़क पर तेज गति से चलता एक व्यक्ति। एक दवा की दुकान के पास जाकर रूकता है। फिर वहां उससे एक युवक मिलता है। कुछ बुदबुदाते हैं। फिर पसीने से भींगा व्यक्ति इसी चौक के आसपास स्थित निजी अस्पताल की और दौड़ता है। मानों जैसे उसकी दुर्बल काया में जान आ गई। दरअसल, उसके पिता एक अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें चिकित्सक ने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने को कहा है। बाजार में आसानी से यह सूई नहीं मिल रही है। उससे सवाल पूछना था कि वह नाराज हो गया। कहा- आप मेरे पिता की जान बचाएंगे। फिर वह बेंता चौक से आगे निकल गया। उसे रेमडेसिविर मिल गया था।

इसी बीच एक दूसरा नौजवान अपने रिश्तेदार को रेमडेसिविर के दो डोज लगवाने के बाद तीसरे और चौथे डोज के लिए इंजेक्शन लेने के लिए निकला था। उसने इससे पहले के दो इंजेक्शन 65 हजार में खरीदे थे। अब तीसरा और चौथा लेना था। लेकिन, जिसने पहले दवा दी थी वह यह कहकर इन्कार कर गया कि दवा का स्टॉक नहीं है। फिर, उसने अपने भाई को पटना भेजा। वहां के कालाबाजार में रेमडेसिविर एक डोज की कीमत 40 हजार बताई गई। नाम व पता पूछने पर तो यह तीमारदार ऐसा बिफरा की कल्पना से परे। कहा- देख रहे हैं। लोग मर रहे हैं। मेरे नाम पता चलेगा तो मेरे मरीज का क्या होगा।

जानकार बताते हैं कि हाल में एक पुलिस अधिकारी की पत्नी की मौत शहर के एक निजी अस्पताल में हो गई। उन्हें रेमेडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत थी। लेकिन, वह सामान्य तरीके से नहीं मिली। फिर उनके पुत्रों ने पटना से दो डोज का इंतजाम किया। तीसरे डोज की खोज चल रही थी कि महिला ने दम तोड़ दिया। सवाल व्यवस्था में होने का है सो इस अधिकारी ने जुबान नहीं खोली। यह पहली या दूसरी मौत नहीं है। इस चक्कर में कई लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके कि इस इंजेक्शन का प्रयोग विशेष परिस्थिति में ही किया जाना है।

जिलाधिकारी की टीम शुरू करती है जांच तो दवा के सौदागार हो जाते हैं सावधान

इस बीच जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम द्वारा बनाई गई टीम ने अचानक निजी अस्पतालों में जांच शुरू की। अस्पताल में भर्ती मरीजों के स्वजनों के अनुसार डीएम द्वारा बनाई गई टीम लगातार जांच कर रही है। लेकिन कालाबाजारी करनेवाले लोग इतने शातिर हैं कि वैसे मरीज जिन्हें कालाबाजार का इंजेक्शन दिया जाता है उनको जुबान नहीं खोलने की धमकी देकर चुप कराकर रखते हैं। शनिवार को डीएम द्वारा जांच कराए जाने का प्रभाव ऐसा रहा कि कई मरीजों के स्वजन शोषण से बच गए। एक गरीब मरीज जो जमीन बेचकर अपना इलाज करा रहा था। उसकी जान बच गई।

अधिकत्तम तीन हजार कीमत बेच रहे 32500 से लेकर मुंहमांगी कीमत पर

दवा व्यवसाय से जुड़े लोग बताते हैं कि रेमडेसिविर की कीमत बहुत ज्यादा नहीं है। बाजार में बस इसकी किल्लत हो गई है। रेमडेसिविर 100 एमजी की अधिकतम कीमत विभिन्न कंपनियों ने अलग-अलग निर्धारित की है। कीमतें 1468, 1568, 1298, 1568, हाइट्रो-2800, 1904, व 1948 तक है। इसमें सारी चीजें जुड़ी रहती हैं। लेकिन, बाजार में दवा स्टॉकिस्ट के पास नहीं आने के कारण कालाबाजारी करनेवाले सक्रिय हैं। लोगों से मुंहमांगी कीमतें वसूली जा रही हैं।

माननीय से सिटी स्कैन के नाम पर लिए ज्यादा पैसे, थमाया 6500 का बिल

चिकित्सा के नाम पर मची लूट के बीच जांच के नाम पर भी मनमानी राशि वसूली जा रही है। जिले के एक माननीय से शहर के एक जांच घरवाले ने 4000 रुपये लिए। बिल थमाया 6500 का। बाद में जब उसे पता चला कि यह तो माननीय से जुड़ा मामला है तो उसने 2500 सौ रुपये की छूट दे दी।

सरकार ने निर्धारित किया दर 3000, ज्यादा नहीं लेना है सिटी स्कैन के लिए

सरकार ने कोविड-19 महामारी के बीच रोगी और उनके स्वजनों के शोषण के विषय को बेहद गंभीरता से लिया है। शनिवार को सरकार की ओर से जारी आदेश में साफ कर दिया गया है कि सिंगल स्लाइस सिटी स्कैन मशीन से जांच के लिए 2500 और डबल स्लाइस के लिए 3000 रुपये अधिकतम लिए जाने हैं। इस सिलसिले में सरकारी की ओर से जारी पत्र को अपने फेसबुक वाल पर साझा करते हुए विधायक संजय सरावगी ने लिखा है निर्धारित शुल्क से ज्यादा लेने पर कार्रवाई होगी। सरकार के रोग नियंत्रण विभाग के निदेशक प्रमुख नवीनचंद्र प्रसाद की ओर से जारी पत्र में साफ किया गया है कि उपरोक्त शुल्क पीपीई किट, सैनिटाइजेशन व जीएसटी मिलाकर निर्धारित किया गया है।

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