इंडो-नेपाल सीमा के पिपरौन-जटही मार्ग से आवागमन शुरू होने से लोगों में हर्ष
लौकही प्रखंड क्षेत्र में भी भारत-नेपाल सीमा खुल गई है। इससे लोगों में काफी हर्ष है। दोनों देश के लोगों ने सीमा खुलने पर प्रसन्नता जाहिर की है। महीनों बाद लोगों को आवागमन की हो रही असुविधा से मुक्ति मिली है।
मधुबनी, जासं ! वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर लगातार 19 महीनो से बंद भारत-नेपाल सीमा को अब पूर्ण रूप से खोल दिया गया है। गुरुवार से भारत-नेपाल मुख्य मार्ग पिपरौन-जटही पर आवागमन शुरू हो गया है। बॉर्डर खोल दिए जाने के बाद स्थानीय लोगों मे हर्ष का माहौल है। बता दें कि पिछले दिनों नेपाल सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा बॉडर खोलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन भारतीय सीमा क्षेत्र में तैनात एसएसबी को आधिकारिक पत्र नहीं मिलने के कारण बॉर्डर बंद ही रखा गया था। अंतत: गुरुवार से बॉर्डर पर लगे बैरियर को हटा दिया गया तथा आवागमन पहले की तरह सुचारू किया गया। स्थानीय रणवीर सिंह, बंटी सिंह, अनिल कुमार सिंह, मनोज महतो, ऋषिकेश झा समेत लोगों ने बताया कि बॉर्डर सील होने के कारण दोनों देश के पारिवारिक व व्यवसायिक संबंधों पर असर पड़ रहा था। इस बीच सैकड़ो शादियां तक नहीं हो पाई। खासकर लोग अपने परिवार से अलग हो गए। अब जाकर बॉर्डर खुला है तो यह दोनों सरकार के द्वारा स्वागत योग्य निर्णय है। पिपरौन कैंप के इंस्पेक्टर मिथिलेश कुमार ने कहा कि एसएसबी द्वारा सरकार के निर्देशानुसार फिलहाल वाहनों का आवागमन शुरू कर दिया गया है। सीमा की हर गतिविधियों पर पैनी नजर है।
सीमा खुलने से बेटी-रोटी के संबंध को मिला बल
लौकही प्रखंड क्षेत्र में भी भारत-नेपाल सीमा खुल गई है। इससे लोगों में काफी हर्ष है। दोनों देश के लोगों ने सीमा खुलने पर प्रसन्नता जाहिर की है। महीनों बाद लोगों को आवागमन की हो रही असुविधा से मुक्ति मिली है। सीमा सील रहने से अपने स्वजनों से मिलना दुश्कर सा था। त्योहारों में भी स्वजनों से मिलना एक समस्या बनी हुई थी। दोनों देशों में बेटी-रोटी का संबंध है। सीमा खुलने से लोग अपने सीमा के उसपार रहने वाले अपने स्वजनों से आसानी से मिल सकेंगे। इधर, एसएसबी एवं नेपाल सुरक्षा बल संयुक्त रूप रूप से आपस में सामंजस्य बनाकर शांति के साथ लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए प्रयासरत हैं। हालांकि, आवागमन के लिए अभी भी कुछ शर्तें लागू हैं, लेकिन लोगों में सीमा खुलने से काफी खुशी देखी जा रही है।