गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने दरभंगा में कहा- वैदिक जीवन स्थायी व संपूर्ण विकासपरक

मिथिला भ्रमण के दूसरे दिन पुरी स्थित गोवर्धन मठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने दरभगा के बेनीपुर प्रखंड अंतर्गत नवादा में दीक्षा ग्रहण सह राष्ट्र धर्म आध्यात्म पर आयोजित चर्चा में लोगों से किया संवाद। शांत की लोगों की जिज्ञासाएं।

By Vinay PankajEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 06:25 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 06:25 PM (IST)
गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने दरभंगा में कहा- वैदिक जीवन स्थायी व संपूर्ण विकासपरक
दरभंगा के बेनीपुर प्रखंड के नवादा में भक्तों को संबोधित करते जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (जागरण)

दरभंगा, जागरण संवाददाता। गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मिथिला भ्रमण के दूसरे दिन मंगलवार को दरभंगा जिले के बेनीपुर प्रखंड स्थित नवादा में दीक्षा ग्रहण सह राष्ट्र आध्यात्म धर्म पर चर्चा की। इस चर्चा में श्रद्धालुओं की ओर से सनातन धर्म व राष्ट्र्र सहित वैदिक जीवन के अलावा गुरु-शिष्य परंपरा पर जगतगुरु के समक्ष अपनी जिज्ञासाएं रखीं।

सभी की जिज्ञासा को शांत करते हुए जगतगुरू ने कहा कि सनातन धर्म में वैदिक जीवन स्थायी व संपूर्ण विकास परक है। उन्होंने कहा कि भौतिकता से प्राप्त विकास क्षणिक, नश्वर व सृष्टि के विनाश का कारण बनेगा। वैदिक वर्णाश्रम व्यवस्था पूर्णत: व्यवस्थित है। इसमें कर्म के आधार पर रोजगार का जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त है।

आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान मैकाले शिक्षा पद्धति हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं सनातन परंपरा को नष्ट करने का कारण बनकर रह गया है। जबकि वेद, उपनिषद सभी विषयों ज्ञान देते हैं। इनमें विज्ञान, अंतरिक्ष का जो विषद वर्णन है उसके सहस्रांश तक भी आज का आधुनिक विज्ञान नहीं पहुंच पाया है। मनुष्य वैदिक अध्यात्म को अपनाकर सदाचार से देवत्व की प्राप्ति कर सकता है। सनातन धर्म में प्रकृति के हर सोपांग और घटक का पूजन और विवरण हमें प्रकृति के पर्यावरण संरक्षण की सीख देते हैं। राज व्यवस्था संविधान सहित लोक सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण हमारे प्राचीन ग्रंथों में हैं। दुनिया को ज्ञान, विज्ञान, दशमलव हमने दिया है। आज सारी दुनिया हमारे सनातन ग्रंथों व संस्कृति को ग्रहण कर रही है और हम भूल रहे। अत: वैदिक जीवन से ही संसार का कल्याण संभव है।

मंदिर सभ्यता, संस्कृति शिक्षा रक्षा और जन कल्याण का केंद्र है। झूठे आडंबर से बचना चाहिए। यहां शक्ति पीठ (नवादा भगवती स्थान) है, जहां आकर अलौकिक शक्ति का अनुभव कर रहा हूं। मगर यहां स्थान के अनुरूप स्तरीय सुविधाओं का घोर अभाव है। अगर इसका सुचारू संचालन हो जाए तो इस स्थान से पूरी दुनिया को लोक कल्याण होगा।

संगोष्ठी के बाद दीक्षा कार्यक्रम में पुराने शिष्यों ने उनका स्वागत किया। वहीं दो दर्जनों से अधिक लोगों ने दीक्षा ली। मौके पर प्रखंड के विभिन्न गांवों से बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

chat bot
आपका साथी