Darbhanga News: जांच, इलाज और दवा के लिए भटक रहे मरीज, नहीं मिल रही राह
Darbhanga News कोरोना संक्रमण की जांच के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज से लेकर बहेड़ी तक का चक्कर लगाता रहा संक्रमित मरीज। दरभंगा मेडिकल कॉलेज से लेकर निजी अस्पतालों के दरवाजे पर दस्तक देकर थक जा रहे मरीज तब भी नहीं मिल रही मदद।
दरभंगा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण का दूसरा चक्र जहां एक ओर भयावहता का परिचय दे रहा है। वहीं दूसरी चिकित्सीय व्यवस्था भी धराशाई होने लगी है। लोग जांच, इलाज और दवा के लिए भटक रहे हैं। बहेड़ी निवासी कैलाश कुमार की कहानी यह बताने के लिए काफी है कि कैसे शहर से लेकर गांव तक लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं। तमाम कोशिशें उस समय नाकाम हो जा रही हैं, जब मरीज की जांच नहीं हो पा रही है।
दो दिनों के बाद हुई जांच, टॉल फ्री पर की शिकायत फिर भी नहीं मिली राहत
दरअसल, कैलाश को संदेह हुआ कि वह कोरोना का संदिग्ध मरीज हो रहा है। रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए बहेड़ी से दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल तक भटकते रहा। दो दिनों की भागदौड़ के बाद उसकी जांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहेड़ी में हुई तो उसे कोरोना पॉजिटिव करार दिया गया। बताते हैं कि कैलाश के स्वजनों ने कोरोना जांच व अन्य सुविधाओं के लिए जारी टोल फ्री नंबर पर इसकी शिकायत की। टोल फ्री वाले ने मोबाइल पर स्वजनों को बताया कि यहां टेक्नीशियन नहीं है। आप डीएमसीएच जाइए। स्वजनों के साथ कैलाश भागते भागते डीएमसीएच पहुंचा। यहां पांच रुपये की पर्ची कटाई। लेकिन, जांच नहीं हुई। घंटों बाद एक कर्मी ने बताया कि यहां मात्र भर्ती मरीजों की ही कोरोना जांच होती है। बहेड़ी जाइए। मरता क्या नहीं करता स्वजन मरीज को लेकर फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहेड़ी पहुंचे। दूसरे दिन सुबह में जांच हुई तो उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
फिर इलाज के लिए लगाई दौड़, अंत में निजी अस्पताल में मिली जगह
पॉजिटिव मरीज के इलाज के लिए स्वजन डीएमसीएच से लेकर शहर के सभी निजी नर्सिंग होम तक भटकते रहे। अधिकांश निजी अस्पताल संचालकों ने सीट फुल होने की बात कहकर टरका दिया। अंत में शनिवार की शाम अस्पताल रोड स्थित एक निजी अस्पताल ने मरीज को अपने यहां बेड दिया। इसके बाद मरीज व उसके स्वजनों ने राहत की सांस ली।
संक्रमण फैलने का रहता है खतरा, रहनी चाहिए तत्परता
एक स्वास्थ्यकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिस तरह से पॉजिटिव मरीजों की जांच व इलाज में ढील व लापरवाही बरती जा रही है वह खतरनाक है। कारण यह कि एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल आने-जाने में मरीज जिस किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आता वह भी संक्रमित होता। लेकिन, कतिपय लोगों ने मरीजों को परेशान करने की आदत डाल ली है। यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।