Bihar: पूर्वी चंपारण में सीप के आभूषण व सजावटी सामान बनाने का काम तोड़ रहा दम
यह उद्योग डेढ़ दशक तक खूब चला। उस समय प्रतिमाह चार से पांच लाख का उत्पादन होता था। सप्लाई गोवा कन्याकुमारी व मुंबई के अलावा अन्य जगहों तक होती थी। रामाशंकर ठाकुर व केएम अंसारी की मौत के बाद व्यवसाय प्रभावित हुआ।
पूर्वी चंपारण, [सत्येंद्र कुमार झा] । मेहसी में सीप से बटन के अलावा उससे आभूषण व सजावटी सामान भी बनाए जाते थे। एक समय इसकी मांग खूब रहती थी। आज यह काम दम तोड़ रहा है। मेहसी में सीप से ज्वेलरी व सजावटी सामान बनाने की कला को रामशंकर ठाकुर व केएम अंसारी ने साल 1995 में शुरू किया था। इससे नाक, कान गला, हाथ, पैर आदि के आभूषण के साथ-साथ घड़ी की चेन से लेकर सजावटी सामान भी बनाने लगे थे। इतना ही नहीं सीप के अनुपयोगी टुकड़े घरों की सजावट के रूप में लगने लगे थे। इसके डस्ट व महीन टुकड़ों का उपयोग मुर्गीदाना के रूप में होने लगा था। यह उद्योग डेढ़ दशक तक खूब चला। उस समय प्रतिमाह चार से पांच लाख का उत्पादन होता था।
सप्लाई गोवा, कन्याकुमारी व मुंबई के अलावा अन्य जगहों तक होती थी। रामाशंकर ठाकुर व केएम अंसारी की मौत के बाद व्यवसाय प्रभावित हुआ। रामाशंकर के परिवार के किसी सदस्य ने इस व्यवसाय में रूचि नहीं दिखाई, लेकिन केएम अंसारी के पुत्र नूर आलम व उनके पौत्र मो. वसीम ने इस व्यवसाय का जीवंत रखा। इस व्यवसाय से परिवार के करीब 10 सदस्य जुड़े हैं। कोराना से पूर्व प्रतिमाह पचास से एक लाख के उत्पाद तैयार कर भेजते थे। कोरोना के कारण व्यवसाय पूरी तरह ठप पड़ा है।
प्रशिक्षण देने की योजना पर काम नहीं
मो. नूर आलम कहते हैं कि इस व्यवसाय को और बेहतर करने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास की जरूरत है। कोरोना से पूर्व अधिकारियों ने निरीक्षण कर इस उद्योग को विकसित करने की बात कही थी। 20 लोगों को प्रशिक्षण देने की योजना बनी थी, पर कोरोना के कारण प्रशिक्षण कार्य भी प्रभावित है। मो. वसीर कहते हैं कि इस उद्योग की अगर ब्राङ्क्षडग के साथ सरकारी स्तर पर सहयोग मिले तो विकास हो सकेगा। साथ ही अधिक लोगों के जुडऩे से बेरोजगारों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा। दो दशक पूर्व सीप से निर्मित सामान के लिए जिले में शोरूम था, जो फिलहाल बंद है। अगर उसे फिर से चालू किया जाए तो लोगों को सहजता से सामग्री मिल सकेगी।