मुजफ्फरपुर में ऑक्सीमीटर आउट ऑफ मार्केट, विटामिन-सी की बढ़ी मांग
Muzaffarpur News थर्मल स्कैनर और थर्मामीटर के भी बाजार में कई खरीदार कंपनियों उपलब्ध नहीं करा पा रहीं माल। वहीं विटामिन-सी की गोलियों की डिमांड दस गुना बढ़ गई है। थर्मल स्कैनर के भी काफी खरीदार हैैं। वह भी नहीं मिल रहा।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के लगातार बढऩे से मरीजों के बीच ऑक्सीमीटर की मांग बढ़ गई है। इसे बनाने वाली कंपनियां बाजार में माल उपलब्ध नहीं करा पा रही हैैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। इसे खरीदने के लिए लोग खुदरा व थोक दुकानों में भटक रहे हैैं। वहीं विटामिन-सी की गोलियों की डिमांड दस गुना बढ़ गई है। थर्मल स्कैनर के भी काफी खरीदार हैैं। वह भी नहीं मिल रहा।
बिहार दवा विक्रेता संघ के संयुक्त सचिव दिलीप जालान का कहना है कि बाजार में ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, थर्मामीटर आदि का काफी मांग है, लेकिन कंपनियों की ओर से माल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। कोरोना मरीज के ऑक्सीजन की जांच के लिए ऑक्सीमीटर जरूरी है। पतंजलि स्टोर सरैयागंज के राजा पाठक ने बताया कि गिलोई, विटामिन आदि की गोलियों की डिमांड बढ़ गई है।
ऑक्सीजन का उत्पादन बाधित, मची अफरातफरी
बेला स्थित ऑक्सीजन प्लांट में सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक प्रोडक्शन ठप रहा। इससे दोपहर और शाम में अस्पतालों को डिमांड के अनुरूप 30 फीसदी ही सप्लाई हो सकी। इससे दिनभर ऑक्सीजन को लेकर एसकेएमसीएच व अन्य अस्पतालों में अफरातफरी मची रही।
सिविल सर्जन डॉ.एसके चौधरी ने बताया कि मंगलवार को 664 सिलेंडर का उत्पादन हुआ। बुधवार से एक हजार सिलेंडर का लक्ष्य रखा गया है। ड्रग इंस्पेक्टर उदय वल्लभ ने बताया कि बेला ऑक्सीजन प्लांट में लिक्युड ऑक्सीजन नहीं आने से ये स्थिति बनी। दोपहर को प्रोडक्शन चालू होने के बाद अस्पतालों को ऑक्सीजन भेजी गई। उन्होंने बताया कि एसकेएमसीएच को 146 सिलेंडर, वैशाली कोविड केयर को 35, अशोका को 30, आइटी मेमोरियल को 30 और प्रसाद को 14 समेत अन्य अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराए गए। इसके बाद स्थिति सामान्य हुई। मालूम हो कि बेला स्थित फैक्ट्री की क्षमता प्रतिदिन 950 से 1000 हजार सिलेंडर तक उत्पादन की है।