मुजफ्फरपुर में नियोजित शिक्षकों से मेधा सूची मांगे जाने पर आक्रोश

शिक्षकों से प्रमाणपत्र नियुक्ति पत्र आदि मांगा किया जाना सही है लेकिन मेधा सूची तो पंचायतों में नियोजन इकाई के पास है। निगरानी जैसे सरकारी कर्मियों को पंचायत नियोजन इकाई मेधा सूची नहीं दे रही तो शिक्षकों को कहां से मिलेगा। उन्होंने शिक्षकों पर प्रताडऩा का आरोप लगाया है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:44 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:44 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में नियोजित शिक्षकों से मेधा सूची मांगे जाने पर आक्रोश
शिक्षकों का कहना है कि मेधा सूची नियोजन इकाई के पास। आदेश में संशोधन की मांग।

मुजफ्फरपुर, जासं। नियोजन इकाई से मेधा सूची मांगे जाने के बदले 2006 से 2015 की अवधि में नियुक्त सभी शिक्षकों से मांगी जा रही है। इस आशय का आदेश प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. रणजीत कुमार ङ्क्षसह द्वारा जारी विज्ञप्ति में मांगी गई है। इसे लेकर शिक्षकों में भारी उबाल है। टीईटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट के जिला मीडिया प्रभारी विवेक कुमार ने कहा कि सरकार का यह आदेश सही नहीं है, इसे अविलंब वापस ले लेनी चाहिए। शिक्षकों से प्रमाणपत्र, नियुक्ति पत्र आदि मांगा किया जाना सही है लेकिन मेधा सूची तो पंचायतों में नियोजन इकाई के पास है। निगरानी जैसे सरकारी कर्मियों को पंचायत नियोजन इकाई मेधा सूची नहीं दे रही तो शिक्षकों को कहां से मिलेगा। उन्होंने शिक्षकों पर प्रताडऩा का आरोप लगाया है। उन्होंने आदेश को पुन: संशोधित करने की मांग की है। 

प्रारंभिक शिक्षक संघ ने सीएम से आदेश वापस लेने की मांग की

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी ने सीएम, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, प्रधान सचिव, निगरानी विभाग एवं निदेशक, माध्यमिक शिक्षा को ई-मेल से पत्र भेजकर आदेश वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि 2006 से 2015 की अवधि में पंचायती राज संस्थानों एवं नगर निकाय संस्थानों द्वारा नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के क्रम में शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए वेबसाइट पर मेधा सूची अपलोड करने संबंधी दिए गए आदेश प्रासंगिक नहीं है। उच्च न्यायालय, पटना के समक्ष दायर समादेश याचिका में पारित आदेश के अनुपालन में राज्य में कार्यरत पंचायत प्रारंभिक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जांच की जा रही है। जांच के क्रम में शिक्षकों से उनके प्रमाण पत्रों का फोल्डर शिक्षा विभाग में जमा कराए गए थे। कुछ शिक्षकों द्वारा प्रमाण पत्र जमा नहीं किए जा सके या जिन शिक्षकों ने प्रमाण पत्र जमा किए थे उनमें से कुछ शिक्षकों के प्रमाण पत्र विभागीय कार्यालयों द्वारा गायब कर दिए गए। 18 जून को विज्ञापन के माध्यम से निदेशक, प्राथमिक शिक्षा द्वारा वैसे सभी शिक्षकों को अपना-अपना प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया गया है जिनके प्रमाण पत्र अभी तक शिक्षा विभाग को प्राप्त नहीं हो सके हैं। प्रमाण पत्र जमा करने या अपलोड करने संबंधी आदेश का अनुपालन शिक्षक कर रहे हैं ङ्क्षकतु, प्रकाशित विज्ञापन में शिक्षकों को उनके नियुक्ति से संबंधित मेधा सूची भी अपलोड करने का आदेश दे दिया गया है, जो सही नहीं है। कर्मचारी की नियुक्ति से सम्बंधित अभिलेख नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में रहता है न कि शिक्षकों के पास। शिक्षा विभाग द्वारा प्रमाण पत्र जमा करने और कराने का एक अंतहीन सिलसिला चल रहा है, जो कहीं से उचित नहीं हैं।  

chat bot
आपका साथी