एसकेएमसीएच के ट्रामा सेंटर में केवल न्यूरो सर्जरी ओपीडी, वार्ड में रहते कैंसर मरीज
एसकेएमसीएच में घटना-दुर्घटना के मरीजों का इमरजेंसी में चल रहा इलाज विशेषज्ञ की बहाली प्रक्रिया में है प्रतिदिन 30 से 40 न्यूरो से संबंधित पहुंच रहे मरीज प्राचार्य ने बताया कि ट्रामा सेंटर में तत्काल न्यूरो ओपीडी व कीमोथेरेपी की सेवा मरीजों को मिल रही है।
मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र तिवारी} । एसकेएमसीएच में जिले के एकलौते ट्रामा सेंटर में घटना-दुर्घटना के बदले कैंसर के मरीजों का इलाज चल रहा है। इसके एक भाग में न्यूरो सर्जरी ओपीडी है। यहां प्रतिदिन 30 से 40 न्यूरो के मरीज आते हैैं। अगर कोई गंभीर मरीज आता है तो न्यूरो विभागाध्यक्ष डा.दीपक कर्ण उसका इमरजेंसी में इलाज करते और ओटी में ले जाकर आपरेशन करते हैं। डा.कर्ण ने कहा कि यह सेंटर 2017 में बनकर तैयार हुआ और 2019 में उन्होंने यहां न्यूरो विभाग में योगदान दिया। उसके बाद स्टडी के लिए विदेश चले गए। वहां से वापस आने के बाद चार जनवरी 2021 को यहां पर योगदान दिया।
प्राचार्य डा.विकास कुमार व तत्कालीन अधीक्षक डा.सुनील शाही ने विशेष रुचि लेकर ट्रामा सेंटर को शुरू कराया। 19 जनवरी 2021 से यहां मरीजों का इलाज हो रहा है। अबतक आउडोर में 4,663 मरीजों का इलाज किया गया है। अधीक्षक डा.बीएस झा की देखरेख में ओपीडी सेवा में सभी सुविधाएं मिल रही हैं।
विशेष चिकित्सक आने पर सभी तरह का होगा इलाज
प्राचार्य ने बताया कि ट्रामा सेंटर में तत्काल न्यूरो ओपीडी व कीमोथेरेपी की सेवा मरीजों को मिल रही है। हड्डी रोग व मेडिसिन विशेषज्ञ, दंत सर्जन और अन्य कर्मियों की बहाली के लिए मुख्यालय से बातचीत चल रही है। इस बीच इसमें कैंसर का डे केयर सेंटर चलाया जा रहा है। अभी जो घटना-दुर्घटना के मरीज आ रहे उनके लिए इमरजेंसी में 60 बेड की व्यवस्था है। साथ ही अगर कोई हड्डी संबंधी मरीज आता है तो उसका विशेषज्ञ वहीं पर इलाज कर रहे हंै। आने वाले दिनों में ट्रामा सेंटर के साथ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की भी सेवा मिलेगी। उसका निर्माण अंतिम चरण में है।
इन सुविधाओं का अभाव ट्रामा से संबंधित आधुनिक उपस्कर व अन्य संसाधन की कमी ओटी है, लेकिन वहां न्यूरो सर्जरी के लिए जरूरी उपकरणों का अभाव दवा के लिए विशेष काउंटर नहीं। मरीज के रजिस्ट्रेशन काउंटर का भी अभाव। मरीजों के लिए शुद्ध पेयजल व पर्याप्त शौचालय नहीं। जनरल सर्जन, दंत सर्जन, आइसीयू विशेषज्ञ सहित ट्रामा टीम का नहीं है इंतजाम। ट्रामा की अपनी एंबुलेंस, हेल्पलाइन नंबर, चिकित्सकों के लिए कैंटीन की 24 घंटे व्यवस्था नहीं। मरीजों के स्वजन के लिए अलग से धर्मशाला नहीं। बरामदा में रहना मजबूरी।