नामांकित छात्रों की संख्या 188, हाजिरी 88 की, उपस्थिति मात्र 30, समस्‍तीपुर ज‍िले का मामला

Samastipur news विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चि कराने के लिए बहाल हैं चार टोला सेवक दो कमरे में चलती है पहली से पांचवी तक की कक्षाएं चौथी कक्षा के छात्र नहीं लिए सके अपना नाम ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 05:33 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 05:33 PM (IST)
नामांकित छात्रों की संख्या 188, हाजिरी 88 की, उपस्थिति मात्र 30, समस्‍तीपुर ज‍िले का मामला
प्राथमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था दिनोंदिन बदहाल होती जा रही है। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

समस्‍तीपुर (दलस‍िंहसराय), जासं। प्राथमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था दिनोंदिन बदहाल होती जा रही है। न तो अधिकारी अपना फर्ज सही से निभा पाते हैं और न हीं शिक्षक ही। विद्यालयों में जैसे-तैसे पठन-पाठन का काम चल रहा है। इसकी बानगी ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड के तहत की गई पड़ताल में जागरण टीम को दिखी। भगवानपुर चकशेखु स्थित प्राथमिक विद्यालय चकशेखु में जागरण की टीम मंगलवार की दोपहर 12.30 बजे पड़ताल करने के लिए पहुंची। विद्यालय के बरामदा और प्रांगण में कुछ बच्चे उछल-कूद कर रहे थे। टीम जब इस चीज को अपने कैमरे में कैद करने लगी तो एक महिला टोला सेवक बाहर खेल रहे बच्चों को वर्ग कक्ष में बुलाने लगी। प्रभारी प्रधानाध्यापिका दिव्यांग हैं। वे वर्ग कक्ष में ही कुर्सी पर बैठकर भोजन कर रही थी। उन्हीं के पास एक कुर्सी पर महिला टोला सेवक बैठी थी। उसी वर्ग कक्ष में 20 से 25 बच्चे बैठकर खेल रहे थे। पूछने पर महिला टोला सेवक ने बताया कि अभी लंच हुआ है।

हालांकि जागरण टीम के आने के बाद सभी बच्चे वर्ग कक्ष में बैठ गए। इस दौरान टीम ने वर्ग कक्ष में मौजूद सभी बच्चों को सामूहिक रूप से एबीसीडी पढऩे को कहा। इसमें से एक बच्चे खड़ा होकर बेहिचक पढ़कर पूरा सुना दिया। लेकिन पूछने पर उसने बताया कि वह शहर के एक निजी विद्यालय में पढ़ता है। वह अपनी बहन के साथ विद्यालय आया है। वही पांचवी की एक छात्रा साक्षी प्रकाश ने 9 का पहाड़ा पढ़कर सुनाया जो विद्यालय के लिए अच्छी बात रही। जबकि चौथी कक्षा का रूपेश नामक छात्र अपना नाम भी हिन्दी में नहीं लिख सका।

चार शिक्षक और चार टोला सेवक हैं इस विद्यालय में

प्राथमिक विद्यालय चकशेखु का हाल बहुत बुरा है। दो कमरों के इस विद्यालय में पहली से लेकर पांचवी तक की पढ़ाई के लिए चार शिक्षक हैं। इसमें रुकसार फारुखी विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका हैं। मंगलवार को वह अवकाश पर थी। उनकी अनुपस्थिति में दिव्यांग प्रवीण कुमारी प्रभार में थी। जबकि ओम नारायण नामक एक शिक्षक चुनाव ड्यूटी में गए हुए थे। वही विद्यालय में महज दो शिक्षक प्रवीण कुमारी और शम्भू चौधरी मौजूद थे। वही चार टोला सेवक में एक आरती कुमारी अपने घर खाना खाने गई हुई थी। जबकि तीन टोला सेवक में एक दीपक कुमार चुनाव ड्यटी में गए थे। जबकि दो महिला टोला सेवक उषा कुमारी और कविता चौधरी विद्यालय में उपस्थित मिली। टोला सेवक का काम है नामांकित बच्चों को हर हाल में विद्यालय तक लाना। लेकिन इस विद्यालय के टोला सेवक भी शायद शिक्षा विभाग की तरह ही सिर्फ कागजों पर अपना काम कर रहे हैं। चार टोला सेवक होने के बावजूद 166 बच्चों में महज 88 बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज थी। लेकिन उपस्थिति महज तीस बच्चों की ही पाई गई। जो कई तरह के सवाल खड़े कर रही है।

वर्ग कक्ष और चहारदीवारी नही होने के कारण होती परेशानी

विद्यालय में मौजूद एक शिक्षक शम्भू चौधरी ने बताया कि स्टेट हाईवे के निर्माण के कारण विद्यालय की चहारदीवारी का निर्माण नही हो पा रहा है। वही वर्ग कक्ष के अभाव में बच्चों की उपस्थिति ठीक से नही हो पाती है जो बच्चे टोला सेवक के बुलाने पर आते भी है वे लंच के दौरान चहारदीवारी नही रहने के कारण घर भाग जाते हैं।

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