अब खेतों को मिलेगा मशरूम का पोषण, मुजफ्फरपुर में तैयार की जा रही बहुपयोगी जैविक खाद

10 किसान खाद का परीक्षण कर रहे हैं। सितंबर से इसे बाजार में उतारा जाएगा। कृषि विवि के मशरूम विज्ञानी डॉ. दयाराम ने बताया कि मशरूम के वेस्टेज से खाद बनाने में गेहूं व सरसों का भूसा पुआल लीची का पत्ता लकड़ी का बुरादा चोकर का इस्तेमाल किया जाता है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 09:18 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 09:18 AM (IST)
अब खेतों को मिलेगा मशरूम का पोषण, मुजफ्फरपुर में तैयार की जा रही बहुपयोगी जैविक खाद
जैविक मिश्रण तैयार करवाने में जुटे मशरूम उत्पादक शशिभूषण तिवारी (दाएं)। जागरण

मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र तिवारी} । अब खेतों को मशरूम की शक्ति मिलेगी। इसके वेस्टेज से तैयार होनेवाली जैविक खाद खेतों की उर्वरा क्षमता बढ़ाने के साथ फसलों को भरपूर पोषण देगी। पूसा स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और मोतीपुर के जसौली गांव के मशरूम फार्म के संयुक्त प्रयास से इसपर काम चल रहा है। विभिन्न सब्जियों और फसलों पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। फिलहाल 10 किसान इस खाद का परीक्षण कर रहे हैं। परिणाम देखकर सितंबर से इसे बाजार में उतारा जाएगा।

कृषि विवि के मशरूम विज्ञानी डॉ. दयाराम ने बताया कि मशरूम के वेस्टेज से खाद बनाने में गेहूं व सरसों का भूसा, पुआल, लीची का पत्ता, लकड़ी का बुरादा, चोकर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मशरूम की कटिंग और धुलाई से निकलने वाले अवशेष को भी इसमें मिलाया जाता है। इस मिश्रण को मशरूम की धुलाई से निकले वेस्टेज पानी से नम कर एक सप्ताह तक छोड़ दिया जाता है। यह जैविक खाद के रूप में बदल जाती है।

खाद निर्माण में जुड़े मशरूम उत्पादक शशिभूषण तिवारी बताते हैं कि तीन महीने से इस पर काम चल रहा है। 10 किसानों को परीक्षण से जोड़ा गया है। वे गन्ने व अन्य फसलों में इसका उपयोग कर रहे हैं। इसका प्रभाव सकारात्मक देखा जा रहा है।

20 अगस्त तक मशरूम की पहली खेप निकलेगी। इससे निकले अवशेष से खाद बनाकर 50 किलो व 100 किलो के बैग में किसानों को सितंबर से उपलब्ध कराया जाएगा। शुरू में इसकी बिक्री स्थानीय बाजार में होगी। मांग होने पर उत्पादन बढ़ाया जाएगा।

प्रतिमाह दो टन खाद बनाने का लक्ष्य 

फार्म में प्रतिमाह दो टन खाद बनाने की योजना है। शशिभूषण ने बताया कि प्रतिकिलो खाद बनाने में पांच से छह रुपये खर्च आ रहा है। बाजार में इसे सात से आठ रुपये किलो बेचा जाएगा। दूसरी जैविक खाद 10 से 12 रुपये किलो मिल रही है।

किसान हरि सिंह और संतोष सिंह बताते हैं कि इस जैविक खाद से फसल में हरियाली आ रही है। पौधे स्वस्थ और विकसित हो रहे हैं। डॉ. दयाराम का कहना है कि इस खाद में फसलों के लिए सभी जरूरी पोषक हैं। आलू, गोभी, प्याज और सब्जी के साथ धान, गेहूं व मक्के के लिए मशरूम जैविक खाद फायदेमंद है।

chat bot
आपका साथी