अब लीची का सालों भर ले सकेंगे स्‍वाद, किशमिश की तरह मिलेगा बाजार में; जाने इनके गुण

गोल-मटोल और रसीली लीची अब और मजेदार व गुणकारी होगी। इसकी पौष्टिकता और स्वाद का आनंद सूखे मेवे के रूप में ले सकेंगे। पिछले सात-आठ साल से चल रहा शोध आखिरी चरण में है।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 06:52 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 06:52 PM (IST)
अब लीची का सालों भर ले सकेंगे स्‍वाद, किशमिश की तरह मिलेगा बाजार में; जाने इनके गुण
अब लीची का सालों भर ले सकेंगे स्‍वाद, किशमिश की तरह मिलेगा बाजार में; जाने इनके गुण

मुजफ्फरपुर, अजय पांडेय। गोल-मटोल और रसीली लीची अब और मजेदार व गुणकारी होगी। इसकी पौष्टिकता और स्वाद का आनंद सूखे मेवे के रूप में ले सकेंगे। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी लीची पल्प से किशमिश तैयार कर रहा है। पिछले सात-आठ साल से चल रहा शोध आखिरी चरण में है। अब इसकी पैकिंग तकनीक विकसित की जा रही, जिससे बाजार के अनुकूल बनाया जा सके। शोध में जुटे विज्ञानियों का कहना है कि किशमिश में लीची के सभी पोषक तत्व ठोस स्थिति में आ जाते हैं, जिससे इसका क्वालिटी लेवल हाई हो जाता है।

रिसर्च में जुटे विज्ञानी डॉ. अलेमवती पोंगेनर बताते हैं कि किशमिश बनाने में ओस्मो डिहाइड्रेशन और उच्च से निम्न तापमान पर ड्राई करने की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। लीची पल्प को सबसे पहले डिहाइड्रेट कर ड्रायर मशीन में 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तीन घंटे तक सुखाया जाता है। इसके बाद तापमान को 60 डिग्री सेल्सियस कर दो घंटे रखा जाता है। अंत में 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 12 घंटे की प्रक्रिया से गुजरने के बाद पल्प किशमिश के रूप में सामने आता है। विज्ञानी के अनुसार पूरे प्रोसेस में औसतन 17 से 18 घंटे लग जाते हैं। 

त्वरित ऊर्जा देनेवाला उत्पाद

डॉ. अलेमवती बताते हैं कि इस किशमिश से त्वरित ऊर्जा मिलती है। इसमें एनर्जी लेवल 66 ग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसमें पाए जानेवाले शुगर, विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन आदि सभी पोषक तत्व ठोस स्थिति में होते हैं। इसलिए, क्वालिटी वैल्यू बढ़ जाती है। ताजा फल की तुलना में किशमिश के कम सेवन से भी तुलनात्मक रूप से बराबर ऊर्जा और पोषण प्राप्त होता है। 

एक वर्ष तक हो सकता इस्तेमाल

अनुसंधान केंद्र के वरीय विज्ञानी डॉ. एसडी पांडेय के अनुसार लीची किशमिश क्रमिक और सतत शोध का परिणाम है। अनुसंधान केंद्र हर सीजन में अलग-अलग कंडीशन पर शोध कर मूल्यांकन कर रहा। अभी पैकिंग तकनीक विकसित हो रही, जिससे इसे बाजार अनुकूल बनाया जा सके। फिलहाल, एयर टाइट पैकेजिंग के साथ ठंडी और शुष्क परिस्थितियों में संग्रहित कर ट्रायल किया गया है। इसे एक वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

किशमिश को लेकर लगातार हो रहा शोध

वरीय विज्ञानी डॉ. एसडी पांडेय ने बताया कि लीची पल्प से किशमिश बनाने पर लगातार शोध हो रहा है। किशमिश को बाजार के अनुकूल बनाने की तैयारी चल रही है। इच्छुक लोगों को बनाने की तकनीक से अवगत कराया जाएगा।

chat bot
आपका साथी