अब पश्‍च‍िम चंपारण में पोषण का पाठ पढ़ाएगी आधी आबादी, स्तर में सुधार लाने की बात बताई गई

कृषि विज्ञान केन्द्र माधोपुर के गृह विज्ञान विभाग की ओर से की जा रही है पहल। विकास एवं पुष्टाहार मंत्रालय की ओर से आंगनबाड़ी सेविकाओं व अन्य महिलाओं को पोषण वाटिका लगाने तथा बच्चों एवं गर्भवती माताओं को स्वस्थ रहने की रणनीति पर चर्चा की गई।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 01:47 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 01:47 PM (IST)
अब पश्‍च‍िम चंपारण में पोषण का पाठ पढ़ाएगी आधी आबादी, स्तर में सुधार लाने की बात बताई गई
मशरूम की खेती पर तीन बार प्रशिक्षण आयोजित की गई।

पश्‍च‍िम चंपारण, जागरण संवाददाता। कैसे स्वस्थ रहा जाए? स्वस्थ रहने के लिए हमें क्या करना चाहिए? इसके लिए हमें किन फल सब्जियों की आवश्यकता है? उसकी मात्रा कितनी होनी चाहिए? किसानों को अपने किचन गार्डेन में पोषण के लिए कौन-कौन सी सब्जी लगानी चाहिए आदि बातों की जानकारी किसानों को दी जा रही है। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, माधोपुर का गृह विज्ञान विभाग विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसमें पोषण से जुड़े लगाई जाने वाली फल सब्जियों का मॉडल प्रस्तुत किया जा रहा है।

वैसे तो पोषण माह के उपलक्ष्य में भी ऐसा आयोजन कराए गए थे, जिसमें महिलाओं को कृषि की विभिन्न तकनीकों के माध्यम से पोषण स्तर में सुधार लाने की बात बताई गई थी। इसके लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्रालय की ओर से आंगनबाड़ी सेविकाओं व अन्य महिलाओं को पोषण वाटिका लगाने तथा बच्चों एवं गर्भवती माताओं को स्वस्थ रहने की रणनीति पर चर्चा की गई। इस अवसर पर ईफको के द्वारा आंबनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण वाटिका लगाने के लिए बीज कीट भी वितरित किए गए। साथ ही पोषण वाटिका के चार -पांच मॉडल भी बताए गए। ताकि सालों भर सुरक्षात्मक भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जा सके। इधर कृषि विज्ञान केन्द्र के गृह विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक डाॅ. सुनीता के अनुसार लोगों में पोषण का स्तर बेहतर करने के पिछले तीन माह में मशरूम की खेती पर तीन बार प्रशिक्षण आयोजित की गई। उनके अनुसार मशरूम लगाना इंडोर कार्यक्रम है। ऐसे में महिलाओं की भागीदारी इसमें सर्वाधिक हो सकती है। इसके अलावा फील्ड विजिट कर महिलाओं को सब्जी की खेती के बारे में जानकारी दी जा रही है।

यहां पोषण की स्थिति है चिंताजनक

गृह वैज्ञानिक डा. सुनीता के अनुसार सूबे में पोषण की स्थिति अत्यंत सोचनीय है। बिहार की हर पांच में से दो महिलाएं किसी न किसी प्रकार के कुपोषण से ग्रसित हैं। कम उम्र समूहों, ग्रामीण क्षेत्रों और अनुसूचित जाति की महिलाओं में अल्प पोषण की समस्या है। एनएफएचएस 4 के आंकड़ों से यह बात स्पष्ट होती है कि बाल स्वस्थ्य के हिसाब से यह राज्य आपातकालीन स्थिति की ओर बढ़ रहा है। इसमें पश्चिम चंपारण जिले की स्थिति और ही खराब है। ऐसा राज्य मात्र 7.5 फीसद बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल रहा हो। भविष्य में स्थिति बदतर हो सकती है।

कृषि तकनीक दे सकता है समाधान

गृह वैज्ञानिक के अनुसार 2030 तक जो सतत विकास लक्ष्य की सीमा है। यह राज्य की आधी से अधिक आबादी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रहेगी। ऐसी स्थिति में कृषि तकनीकों तथा बायोफोर्टिफायड अनाज व पोषण वाटिका की समुचित प्रबंधन ही इसका समधान दे सकता है। 

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