अब लिक्विड यूरिया से संवरेगी किसानी, पश्चिम चंपारण में दूर होगी परेशानी
West Champaran सभी थोक व खुदरा दुकानों पर महज 240 रुपये में उपलब्ध है एक लीटर लिक्विड यूरिया सॉलिड यूरिया पर निर्भरता से मिलेगी मुक्ति अनाज के उत्पादन पर नहीं पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव किसानों को छिड़काव में होगी सुविधा।
पश्चिम चंपारण, (बगहा ), जासं। रसायनिक उर्वरकों के बढ़ते दुष्प्रभाव के बावजूद खेती के समय यूरिया की किल्लत आम है। विशेष रूप से धान की रोपनी के दौरान यह परेशानी सबसे अधिक होती है। सरकार के द्वारा विस्कोमान भवन से यूरिया के वितरण की व्यवस्था की गई है। लेकिन, यह व्यवस्था भी तब नाकाफी साबित हो जाती है, जब किसानों की भीड़ उमड़ पड़ती।
यूरिया के लिए मची मारामारी के बीच कई बार पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ता। अब, आने वाले दिनों में इस तरह की समस्या से किसानों को नहीं जूझना पड़ेगा। किसानों की सॉलिड रसायनिक उर्वरकों पर निर्भरता पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। दरअसल, कृषि वैज्ञानिकों ने सॉलिड यूरिया के विकल्प के रूप में लिक्विड यूरिया तैयार किया है। यह न सिर्फ सस्ता है बल्कि इसकी ढुलाई में भी किसी प्रकार का झंझट नहीं है। खास बात यह है कि इसके प्रयाेग से उत्पादन पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं होगा। किसान मुनासिब पैदावार प्राप्त कर सकेंगे। यह लिक्विड यूरिया महज एक लीटर के बोतल में 240 रुपये में किसी थोक, खुदरा या विस्कोमान गोदाम पर उपलब्ध हाे गया है। किसान इसे बाइक की डिक्की मेें रखकर आसानी से ले जा सकते हैं। एक लीटर यूरिया एक एकड़ की खेती के लिए पर्याप्त होगा। इसके प्रयोग से किसी प्रकार का साइड इफेक्ट भी नहीं दिखेगा। कृषि समन्वयक, सलाहकारों और तकनीकी प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी-अपनी पंचायतों में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करें। ताकि किसान यूरिया की बोरियों के लिए भागदौड़ करने की बजाय लिक्विड यूरिया खरीद मुनासिब पैदावार प्राप्त कर सकें।
इस तरह से करें फसलों पर प्रयोग :-
एक लीटर लिक्विड (नैनो) यूरिया एक एकड़ खेती के लिए पर्याप्त है। अर्थात 45 किलो की एक बाेरी सॉलिड यूरिया के सप्लीमेंट के रूप में इसका प्रयोग किया जा सकता है। खेत में आवश्यकतानुसार पानी में लिक्विड यूरिया को मिलाकर इसका पत्तियों पर छिड़काव करने से पौधों को सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रयोग के दृष्टिकोण से भी यह काफी सुलभ है।
32213 हेक्टेयर में बगहा दो में होती खेती :-
बगहा दो प्रखंड की कुल जोत का रकबा 32213 हेक्टेयर है। अर्थात इतनी भूमि पर खेती होती है। ऐसे में 80532 लीटर नैनो यूरिया की व्यवस्था हो जाए तो फिर एक सीजन की फसल के लिए यह पर्याप्त है। कृषि अधिकारी की माने तो यह यूरिया ढुलाई में बेहद सुलभ है, इसलिए सालों भर इसकी उपलब्धतता सुनिश्चित रहेगी। इसके साथ यह सॉलिड यूरिया से 26 रुपये प्रति बोरी की दर से सस्ती है। जिससे किसानों को काफी सुविधा मिलेगी।
- सभी कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि अपने इलाके में व्यापक प्रचार प्रसार करें। ताकि हर किसान लिक्विड यूरिया से परिचित हो सके।- शशांक नवल, बीएओ, बगहा दो