Champaran Tourism: अब लौरिया व नंदनगढ़ आने वाले बुद्धिस्ट पर्यटकों को मिलेगी भरपुर सुविधाएं

West Champaran Tourism अब चंपारण की धरती पर भगवान बुद्ध से जुड़ी स्थलों पर पूजा अर्चना को आने वाले बुद्धिस्ट पर्यटक सुविधा के नाम पर आह नहीं भरेंगे।पर्यटन मंत्री ने कहा जिले में विकसित होंगे रामायण व बुद्धिस्ट सर्किट के स्थल।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 03:36 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 03:36 PM (IST)
Champaran Tourism: अब लौरिया व नंदनगढ़ आने वाले बुद्धिस्ट पर्यटकों को मिलेगी भरपुर सुविधाएं
अब लौरिया व नंदनगढ़ आने वाले बुद्धिस्ट पर्यटकों को मिलेगी भरपुर सुविधाएं।

पश्‍च‍िम चंपारण, जागरण संवाददाता। अब चंपारण की धरती पर भगवान बुद्ध से जुड़ी स्थलों पर पूजा अर्चना को आने वाले बुद्धिस्ट पर्यटक सुविधा के नाम पर आह नहीं भरेंगे। यहां के लौरिया में बने अशोक स्तंभ, नंदगढ़ के बुद्ध स्तूप तथा रमपुरवा के अशोक स्तंभ की दीदार करने आने वाले विदेशी पर्यटकों को खाने -पीने के साथ -साथ ठहरने की भी सुविधा मिलेगी। पर्यटक यहां आकर तुरंत वापस लौटने की जगह एक दो दिन रूक भी सकेंगे। जिले के सपूत एवं सूबे के पर्यटन मंत्री नारायण साह ने बताया कि वे जिले के पर्यटन स्थलों के विकसित करने के लिए एक विशेष कार्ययोजना के तहत काम करेंगे।

 जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है। पर्यटकों को यहां सुविधा दी जाती है, तो आने वाले समय में पश्चिम चंपारण जिला सूबे का पर्यटन के क्षेत्र में हॉट स्पॉट बन जाएगा। उन्होंने जिले को धार्मिक, ऐतिहासिक, ईको पर्यटन के क्षेत्र में धनी बताया है। इन क्षेत्रों को विकसित करने के संकेत दिए हैं। ऐसे में बुद्धिस्ट सर्किट के विकसित होने के साथ-साथ रामायण सर्किट पर भी का होने आसार बढ़ गए हैं। 

वीटीआर भ्रमण पैकेज में सरैयामन भी होगा शामिल 

हाल में ही मंत्री श्री साह ने वाल्मीकि टाईगर रिजर्व क्षेत्र में भ्रमण को आने वाले पर्यटकों के लिए बने पैकेज में सरैयामन और उदयपुर जंगल को भी शामिल करने की बात कही। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सरैयामन आने का भी आमंत्रण दिया है। अब पर्यटन मंत्री बनने के बाद उनके द्वारा की गई मांग को पंख लग गए। सरैयामन उदयपुर का भी बेहतर विकास होगा। 

धर्मिक पर्यटन को भी मिलेगा नया आयाम 

पश्चिम चंपारण जिला में ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थालों की भरमार है। यहां एक ओर जहां इतिहास के प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक काल के स्रोत मौजूद हैं, तो दूसरी ओर मंदिर स्थापत्य कला एवं मूर्तिकला के क्षेत्र में इसकी उत्तम पहचान है। बेतिया राज के जमाने में स्थापित मंदिर को संरक्षित रखने एवं इसे बेहतर लूक देने की जरूतर है। जानकारों की माने, तो यहां मंदिरों सभी देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस क्षेत्र में भी अब विकास होने की उम्मीद जग गई है। हाल में जिलाधिकारी कुंदन कुमार के द्वारा अमवा मन को विकसित करने की कार्ययोजना बनकर काम किया जा रहा है। इस काम में भी और गति मिलेगी।

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