अब रिहायशी इलाके में जाकर उत्पात नहीं मचाएंगे जानवर
अब वीटीआर के जंगल से भटक कर खूंखार जानवर रिहायशी इलाके में नहीं जाएंगे। क्योंकि अब यहां जानवरों के भोजन की बेहतर व्यवस्था हो रही है।
मुजफ्फरपुर। अब वीटीआर के जंगल से भटक कर खूंखार जानवर रिहायशी इलाके में नहीं जाएंगे। क्योंकि अब यहां जानवरों के भोजन की बेहतर व्यवस्था हो रही है। जंगल के राजा को भी भोजन की तलाश में इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। इसको लेकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वनक्षेत्रों तथा उदयपुर वन आश्रयणी क्षेत्र में शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए ग्रासलैंड बढ़ रहा है। इसको लेकर वीटीआर प्रशासन ने वनक्षेत्रों के अंदर बीस हेक्टेयर में ग्रासलैंड विकसित करने के लिए प्रस्ताव राज्य वन मुख्यालय, वाइल्ड लाइफ वार्डन और एनटीसीए को भेजा था। प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन प्रमंडल एक व दो के वाल्मीकिनगर, गनौली, हरनाटाड़, मदनपुर,चिउटाहा,गोबर्धना,रघिया,मंगुराहा और उदयपुर वन आश्रयणी क्षेत्र में शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए ग्रासलैंड का क्षमता बढ़ने लगा है। वीटीआर के फिल्ड डायरेक्टर एस. चंद्रशेखर ने बताया कि ग्रासलैंड विकसित करने के लिए जंगल के अन्दर स्थल का चयन कर लिया गया है । जहां सर्वाधिक मात्रा में शाकाहारी जानवरों का तादाद है। उस वनक्षेत्र में और अधिक ग्रासलैंड विकसित किया जाएगा। उस ग्रासलैंड में नयी किस्म के घास उगेंगे। जिससे हिरण, नीलगाय, सांभर,चीतल,आदि शाकाहारी जानवरों को समय समय पर भोजन मिलेगा। ग्रासलैंड की सुरक्षा और रखरखाव के लिए वनकर्मियों की तैनाती होगी। जब जंगल के अन्दर जानवरों को भोजन मिलेगा तो वे रिहायशी इलाकों में नहीं भटकेंगे। जंगल में बढ़ी शाकाहारी जानवरों की संख्या
डीएफओ गौरव ओझा, अम्बरीश कुमार मल्ल, अभिषेक कुमार ¨सह ने बताया कि वन प्रमंडल एक व दो के वनक्षेत्र तथा उदयपुर वन आश्रयणी क्षेत्र में इन दिनों शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ी है। उन जानवरों को जंगल के अन्दर भोजन देने के लिए वीटीआर प्रशासन गंभीर है। ग्रासलैंड का क्षमता बढ़ाने के लिए कवायद शुरू कर दिया गया है। सभी वन क्षेत्र पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे स्थल चयन कर रिपोर्ट दें। जहां ग्रास लैंड विकसित किया जा सके। बाघ व तेंदुए को जंगल के अन्दर मिलेगा भोजन
वीटीआर के वनक्षेत्रों में बाघों और तेंदुओं को भोजन मिलेगा।इसको लेकर बाघों और तेंदुओं के भोजन शाकाहारी जानवरों के संरक्षण और रखरखाव करने के लिए वीटीआर प्रशासन ने सभी वनक्षेत्रों को निर्देश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि जंगल के अंदर शाकाहारी जानवर हिरण, नीलगाय, चीतल,संभार आदि रहेंगे तो बाघों को समय पर भोजन मिलता रहेगा और वह बाघ रिहायशी क्षेत्रों में नहीं भटकेंगे। इस लिए शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने के लिए वीटीआर प्रशासन गंभीर है। बाघों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम
बाघ व तेंदुए जंगल से बाहर नहीं जाएं, इसके लिए वीटीआर प्रशासन हर संभव उपाय में लगा हुआ है। डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि एक बार जंगल से निकल कर बाघ रिहायशी इलाके में चला जाता है तो उसकी सुरक्षा को लेकर ¨चता हो जाती है। क्योंकि वह बार-बार जंगल से बाहर निकलने की कोशिश में रहता है। उसकी यह आदत बाघ की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है। इस लिए यह कोशिश हो रही है कि बाघ अपने अधिवास क्षेत्र से बाहर निकले ही नहीं।
वीटीआर के क्षेत्र निदेशक एस. चंद्रशेखर ने बताया कि बाघों की सुरक्षा को लेकर वीटीआर प्रशासन गंभीर है। बाघ रिहायशी इलाके में घुसते हैं तो सबसे पहले उनकी सुरक्षा संदिग्ध हो जाती है। साथ में जंगल के समीप बसे गांव के लोगों की सुरक्षा को लेकर भी ¨चता रहती है। सो, ऐसी व्यवस्था हो रही है कि बाघ अपने अधिवास क्षेत्र में ही सुरक्षित रहें।