मुजफ्फरपुर में आंखों के इलाज को सरकारी स्तर पर इंतजाम नहीं, सदर अस्पताल में 2010 के बाद नहीं हो पाया आपरेशन
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में आई बैंक तैयार है लेकिन नहीं हो पा रहा चालू सदर अस्पताल में दो नेत्र रोग विशेषज्ञ रहने बावजूद वहां आपरेशन थियेटर नहीं होने से मोतियाबिंद का आपरेशन नहीं हो होता। जबकि आंखों के मरीजों संख्या काफी ज्यादा है।
मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र तिवारी}। सरकारी स्तर पर आंख के इलाज को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। इससे मरीज को निजी अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। सदर अस्पताल में दो नेत्र रोग विशेषज्ञ रहने के बाद भी वहां आपरेशन थियेटर नहीं होने से मोतियाबिंद आपरेशन नहीं हो पाता है।
जानकारी के अनुसार यहां पर अभी दो विशेषज्ञ चिकित्सक डा.नीतू कुमारी व डा.वैदेही कुमारी तैनात हैं। ये मरीजों की जांच व आपरेशन के लिए जरूरी उपकरण की सूची उपाधीक्षक को सौंप चुकी हैैं। उसकी खरीदारी नहीं हो रही है। सदर अस्पताल के ओटी में पहुंचीं कुढऩी की सुमन देवी ने बताया कि यहां पर जांच कराई, लेकिन आधुनिक मशीन नहीं रहने से अब निजी अस्पताल जाना पड़ेगा। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आई बैक के लिए जिले में 22 लाख की राशि आई थी। सदर अस्पताल परिसर में पर्याप्त जगह रहने के बाद भी यहां निर्माण नहीं हुआ। उसके बाद यह राशि मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल के पास गई, लेकिन वहां से भी यह वापस चली गई। एसकेएमसीएच के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.एमके मिश्रा ने बताया कि जब वह और वरीय चिकित्सक बीएस झा सदर अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे थे तो उस समय यानी 2010 में 60 मरीजों का आपरेशन किया गया था। उसके बाद से वहां पर आपेरशन नहीं हुआ। ओटी की पहल हुई, लेकिन वह भी चालू नहीं हो पाया।
मानव संसाधन की कमी बैंक के संचालन में बाधक
एक साल पहले यानी 2020 में एसकेएमसीएच में आई बैंक बनकर तैयार हो गया, लेकिन वह चालू नहीं हो पाया है। जानकारी के अनुसार मानव संसाधन की कमी से इसे शुरू नहीं किया जा पा रहा है। ट्रांसप्लाट कोडिनेटर, पांच कक्ष सहायक व पांच सहयोगी की जरूरत है। इससे एक साल से वहां काम नहीं हो रहा है। यदि आई बैंक चालू हो जाए तो सारण, तिरहुत व दरभंगा प्रमंडलवासियों को इसका लाभ मिलेगा।
आई बैंक से मिलेंगी ये सुविधाएं
- नेत्र दान करने वाले की आंख सुरक्षित रहेगी।
- नेत्र पटल कोरनिया के प्रत्यारोपण की सुविधा मिलेगी।
- गांवों में शिविर लगाकर पहचान व आपरेशन होगा।