बेतिया राज की संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही, अब तक चोरी की कई घटनाएं, जानिए पूरा मामला

West Champaran बार-बार चोरी के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था नहीं की जा रही दुरुस्त बेतिया राज के यहां सुरक्षा में लापरवाही की वजह से हो चुकी है चोरी की कई घटनाएं एक का भी नहीं हो सका पर्दाफाश।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 07:56 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 07:56 AM (IST)
बेतिया राज की संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही, अब तक चोरी की कई घटनाएं, जानिए पूरा मामला
बेत‍िया राज यहां चोरी गए सामान की आज तक बरामदगी नहीं हो सकी है।

बेतिया (पश्चिम चंपारण), जासं। बेतिया राज के रिकार्ड रूम से बीते 23 अक्टूबर को महत्वपूर्ण कागजात की चोरी के बाद सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। यह पहली बार नहीं है, जब बेतिया राज की संपत्ति की चोरी हुई है। इससे पहले आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। चोरी गए सामान की आज तक बरामदगी नहीं हो सकी है। 21 जुलाई, 1990 को बेतिया राज के दौलतखाने से हीरे-जवाहरात की चोरी का मामला सामने आया है। तब बड़ा हो-हल्ला मचा था। राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच कराने की घोषणा भी की थी, लेकिन इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। छह जुलाई, 2011 को बेतिया राज कचहरी की दीवार पर लगी इंग्लैंड से मंगाई गई घड़ी की चोरी हुई थी। घड़ी की खासियत यह थी कि यह चारों दिशाओं से दिखता था। उसके घंटे की आवाज करीब 10 किलोमीटर तक सुनाई पड़ती थी। 20 अगस्त, 2012 को शीश महल से कीमती ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के बर्तनों की चोरी हुई थी।

अन्य घटनाएं

29 अगस्त, 2011 : राजमहल से कीमती घड़ी और हाथी दांत से बने मेज की चोरी का प्रयास हुआ था।

छह जनवरी, 2013 : शीश महल से पुरातात्विक महत्व के झूमर चुराकर भाग रहा कालीबाग का मोहम्मद जाहिद गिरफ्तार किया गया था।

16 मार्च, 2013 : तहखाने में चोरी का प्रयास हुआ था। तहखाने के अंदर से गैस सिलेंडर, कटर, रस्सी, कुल्हाड़ी, खंती, गैलन में रखा एसिड सहित कई सामान बरामद हुए थे।

10 दिसंबर, 2016 : मालखाने में खोदाई कर रहे आठ युवक दो देसी पिस्टल और गोली के साथ पकड़े गए थे। तहखाने से गैस सिलेंडर, कटर, रस्सी, जैक, पेचकस, खंती सहित कई औजार बरामद हुए थे।

राज परिसर की सुरक्षा में महज तीन कर्मी 

इस समय बेतिया राज की संपत्ति की सुरक्षा में 16 पुलिसकर्मियों की तैनाती है। यह आठ-आठ घंटे ड्यूटी करते हैं। इनमें से महज तीन की ड्यूटी राज परिसर में रहती है। बेतिया राज के प्रबंधक विनोद कुमार सिंह का कहना है कि उपलब्ध संसाधनों और कर्मचारियों के सहयोग से राज के परिसंपत्तियों की सुरक्षा होती है।

राज्य सरकार के अधीन सुरक्षा की व्यवस्था 

बेतिया राज का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है। वर्ष 1627 में यह अस्तित्व में आया था। पहले राजा उग्रसेन थे। इसके बाद 10 महाराजा हुए। अंतिम महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह थे। उन्होंने वर्ष 1884 में बागडोर संभाली थी। संतान की चाह में उन्होंने दो शादियां कीं, लेकिन नहीं हुई। 1893 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पहली महारानी शिवरतन कुंवर ने राजकाज संभाला। उनके बाद दूसरी महारानी जानकी कुंवर ने 1897 तक बेतिया राज की कमान संभाली। इसके बाद अंग्रेजों ने इस राज को कब्जे में ले लिया। आजादी के बाद बेतिया राज कोर्ट आफ वार्ड के अधीन चला गया। इसकी देखरेख का जिम्मा अभी राज्य सरकार के पास है। बिहार सरकार के अधिकारी राज के प्रबंधक की जिम्मेदारी निभाते हैं।

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