बिहार-यूपी सीमा पर शराब ढुलाई में कुरियर का काम कर रहे नौनिहाल

सीमांचल में बसे बिहार के कई गांवों के कई बच्चे प्रतिदिन यूपी आते-जाते हैं। इस दौरान वे आसानी से शराब की खेप लेकर आते-जाते हैं। पुलिस उनपर विशेष ध्यान नहीं देती। हालांकि लॉकडाउन के कारण स्कूलों में तालाबंदी के बावजूद लोगों का सीमा-पार आना-जाना लगा रहता है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:48 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:48 AM (IST)
बिहार-यूपी सीमा पर शराब ढुलाई में कुरियर का काम कर रहे नौनिहाल
उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे थाना क्षेत्रों में वर्षों से चल रहा है खेल।

बगहा, जासं। गंडक पार के मधुबनी प्रखंड में उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गांवों में नौनिहालों को शराब की ढुलाई के लिए कुरियर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। ये सीमा पार से शराब की खेप लेकर बिहार में प्रवेश करते हैं। फिर इसे गुप्त स्थान पर इकट्ठा कर धंधेबाजों को सौंप दिया जाता है। जिनके माध्यम से इसकी बिक्री होती। कुछ यही हाल ताड़ी की दुकानों का भी है। ताड़ी की दुकानों के आसपास नाश्ते की दुकानों पर भी नौनिहाल काम कर रहे। इस ओर पुलिस पदाधिकारियों का ध्यान नहीं है। बीते एक महीने के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। एक महीने में सिर्फ धनहां पुलिस ने कुल 317 लीटर शराब जब्त की है। इस दौरान नौ धंधेबाजों को पुलिस ने दबोचा। इनमें दो धंधेबाजों ने पुलिस के समक्ष यह स्वीकार किया कि शराब की खेप बच्चों के माध्यम से सीमा पार कराई गई। जिसके एवज में उन्हें निर्धारित पारिश्रमिक दे दिया गया। सूत्र बताते हैं कि सीमांचल में बसे बिहार के कई गांवों के कई बच्चे प्रतिदिन यूपी आते-जाते हैं। इस दौरान वे आसानी से शराब की खेप लेकर आते-जाते हैं। पुलिस उनपर विशेष ध्यान नहीं देती। हालांकि लॉकडाउन के कारण स्कूलों में तालाबंदी के बावजूद लोगों का सीमा-पार आना-जाना लगा रहता है।

ताड़ी की दुकानों पर चिखना बेचते बच्चे

स्कूल ड्रेस पहने बच्चे सीमा पर अवस्थित बांसी से सटे विभिन्न ताड़ी की दुकानों पर चिखना बेचते हैं। इससे प्रतिदिन औसतन 40 से 100 रुपये की कमाई हो जाती। इसकी बड़ी वजह जन जागरूकता का अभाव है। श्रम विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ना ही कोई अभियान चलाया जाता है और ना ही इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जाता। ताकि बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया जा सके। बता दें कि वर्ष 1987 में राष्ट्रीय बाल मजदूरी नीति तैयार की गई। इस नीति के तहत जोखिम भरे व्यवसाय और प्रक्रियाओं में कार्यरत बच्चों के पुनर्वास कार्य पर ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत बताई गई।

पकड़ी गई शराब एक नजर में

जून की नौ तारीख को 137 लीटर शराब के साथ चनपटिया थाना के तीन धंधेबाजों को गिरफ्तार किया गया। 18 जून को तीन लीटर शराब जब्त हुई जबकि धंधेबाज रामाकांत फरार होने मेें सफल रहा। 19 जून को 25 लीटर शराब के साथ एक आटो जब्त किया गया। इस दौरान दो धंधेबाज क्रमश: फुलवरिया के करण कुमार व रंजय कुमार गिरफ्तार हुए। 21 जून को 68 लीटर शराब बस से जब्त की गई। यह शराब बस में कौन लेकर आया, पुलिस पता नहीं लगा सकी। 23 जून को 21 लीटर शराब के साथ लौरिया थाना के वसीम आलम को गिरफ्तार किया गया था। वही 26 जून को 62 लीटर शराब के साथ दो धंधेबाज गिरफ्तार हुए। इन्हीं ने बच्चों से शराब ढुलाई कराए जाने की तस्दीक पुलिस के सामने की। 

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