परिवार नियोजन में महिलाएं ही आगे बढ़कर निभातीं ‘कर्तव्य’, राष्‍ट्रीय आंकड़े इसके प्रमाण Samastipur News

कुछ पुरुषों में आई जागरूकता तो आगे बढ़कर निभाया फर्जÓ औरों को भी दे रहे प्रेरणा। राष्ट्रीय आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि 72 फीसद महिलाएं ही निभातीं जिम्मेदारी।

By Murari KumarEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 02:55 PM (IST) Updated:Fri, 28 Feb 2020 02:55 PM (IST)
परिवार नियोजन में महिलाएं ही आगे बढ़कर निभातीं ‘कर्तव्य’, राष्‍ट्रीय आंकड़े इसके प्रमाण Samastipur News
परिवार नियोजन में महिलाएं ही आगे बढ़कर निभातीं ‘कर्तव्य’, राष्‍ट्रीय आंकड़े इसके प्रमाण Samastipur News

समस्तीपुर, अजय पांडेय। नारी तू तो सबपर भारी। चाहे वो सहनशीलता का मामला हो या आगे बढ़कर 'कर्तव्यÓ निभाने का। परिवार नियोजन में भी महिलाएं ही आगे, क्योंकि पुरुष नसबंदी से बचते हैं। हालांकि कई की सोच ऊंची है और ये आगे बढ़कर 'फर्जÓ निभाते। औरों को भी ऐसा करने की सलाह देते। लेकिन ऐसा उदाहरण कम ही देखने को मिलता है। 

 राष्ट्रीय आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि 72 फीसद मामलों में महिलाएं ही इस जिम्मेदारी को निभाती हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के तहत जिले के 930 गांवों में पाया गया कि परिवार नियोजन का भार महिलाएं ही ढोती हैं। अगर, जिले में 30 फीसद महिलाएं बंध्याकरण करवातीं तो पुरुषों की हिस्सेदारी एक फीसद है।

 इस वार्षिक सत्र में बिथान, हसनपुर, कल्याणपुर, मोहिउद्दीननगर, मोरवा, ङ्क्षसघिया, विद्यापतिनगर और वारिसनगर ऐसे प्रखंड हैं जहां महिला बंध्याकरण की संख्या तो ठीक-ठाक है, लेकिन पुरुषों की भागीदारी शून्य। एक अप्रैल 2019 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक की जारी रिपोर्ट चौंकाती है।

 रोसड़ा अनुमंडलीय अस्पताल में कुल 692 बंध्याकरण व नसबंदी हुई। इनमें सात ही पुरुष थे। दलङ्क्षसहसराय अनुमंडल में अप्रैल 2019 से लेकर मध्य फरवरी तक 881 में महज आठ पुरुषों की नसबंदी हुई। यही हाल पटोरी अनुमंडलीय अस्पताल का है, वहां भी महज सात पुरुषों की नसबंदी हुई, जबकि महिलाओं की संख्या 553 है। समस्तीपुर सदर व शहरी क्षेत्र में कुल 27 पुरुषों की तुलना में 735 महिलाओं का बंध्याकरण हुआ। इस तरह जिले में 10 हजार 589 महिलाओं की तुलना में महज 86 पुरुषों की ही नसबंदी हुई है।

नसबंदी से नहीं आती कमजोरी, पुरुष आगे आएं

समस्तीपुर वीमेंस कॉलेज की समाजशास्री प्रो. नीता मेहता कहती हैं कि परिवार नियोजन को लेकर महिला-पुरुष का बड़ा अंतर भ्रांतियों की वजह से है। दलङ्क्षसहसराय अनुमंडलीय अस्पताल के डीएस डॉ. अरुण कुमार के अनुसार जागरूकता की कमी से पुरुष नसबंदी नहीं कराते। सिविल सर्जन डॉ. सियाराम मिश्र का कहना है कि परिवार नियोजन के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है। समय-समय पर शिविर व कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें प्रेरित किया जाता है। 

ये रोल मॉडल पुरुष दे रहे ऊंचा संदेश

पिछले साल नवंबर में नसबंदी करा चुके दलसिंहसराय के रामपुर जलालपुर निवासी सीताराम राय कहते हैं कि परिवार की जिम्मेदारी पति-पत्नी दोनों पर है। परिवार नियोजन की सारी जिम्मेदारी आधी आबादी ही क्यों ढोये? इसी सोच को लेकर नसबंदी कराई। मुझे कोई शारीरिक दिक्कत नहीं। लोगों को मन से भ्रांति निकाल देनी चाहिए। नसबंदी करा चुके केवटा, दलसिंहसराय के भंगी पासवान, डीह पगड़ा के बटोरन राय और उजियारपुर के ठेंगहा निवासी उपेंद्र झा भी कुछ ऐसा ही संदेश देते हैं।

chat bot
आपका साथी