नमो देव्यै महा देव्यै: मुजफ्फरपुर में बाल अधिकारों की सजग संरक्षक हैं अलका वर्मा, युवतियों के लिए मददगार
दूसरों की मदद में अलका वर्मा को मिलता सुख। इन दिनों वह युवतियों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। उनको हर तरह की मदद देती हैं। बाढ़ के दौरान उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में राहत कैंप चलाया।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। माता-पिता ने महज 15 साल की उम्र में अलका वर्मा की शादी कर दी। तब वह मैट्रिक की परीक्षा देकर परिणाम का इंतजार कर रही थीं। पढ़-लिखकर कुछ करने के उनके अरमान शादी के साथ समाप्त हो गए। वह खेल के मैदान में ऊंची उड़ान भरना चाहती थीं, लेकिन वह सपना भी टूट गया। हालांकि शादी के बाद ससुराल का साथ मिला और उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल करने के सपने को साकार किया। एमडीडीएम कॉलेज से इंटर एवं स्नातक तथा बिहार विश्वविद्यालय से डबल एमए किया। उसके बाद उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। पति का साथ मिला तो समाज सेवा की राह में भी कदम बढ़ा दिया। वह स्वयं खेल नहीं सकीं, लेकिन अब युवतियों को खेल के लिए प्रेरित कर रही हैं।
मूल रूप से पश्चिम चंपारण के बथना गांव की रहने वाली अलका वर्मा की शादी मुजफ्फरपुर निवासी बैंककर्मी शशिकांत वर्मा से हुई। उनको एक बेटा एवं बेटी है। बेटे से अधिक उन्होंने बेटी को बढ़ाने पर ध्यान दिया और वह आज एक बड़ी कंपनी की सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर है। बेटा भी एक कंपनी में नौकरी कर रहा। बच्चों को स्थापित करने के बाद वह इनरव्हील क्लब ऑफ मुजफ्फरपुर एवं अंगना से जुड़कर समाजसेवा कर रही हैं। अधिकार नामक संगठन से जुड़कर बाल अधिकारों के संरक्षण का काम कर रही हैं। इनरव्हील की कई परियोजनाओं पर उन्होंने काम किया। इन दिनों वह युवतियों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। उनको हर तरह की मदद देती हैं। बाढ़ के दौरान उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में राहत कैंप चलाया। ग्रामीण इलाकों में जाकर युवतियों को सफलता की राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रही हैं। समाजसेवा की उनकी ललक अभी भी है। वह कहती हैं कि जो काम वह नहीं कर सकीं, दूसरा करता है तो मदद करने में सुख का एहसास होता है।