Muzaffarpur Weather: उत्तर बिहार में कल तक आसमान रहेगा साफ, फिर होगी बूंदाबांदी
Muzaffarpur Weather तापमान में गिरावट के साथ ही ठंड बढ़ने शुरू हो गई है। आसमान में मध्यम बादल छाए रहने के साथ ही कुछ जिलों में चार-पांच दिसंबर को हो सकता है बूंदाबांदी समस्तीपुर दरभंगा बेगूसराय व मधुबनी जिलों हल्की बारिश की संभावना।
समस्तीपुर, जासं। उत्तर बिहार के जिलों में कल के बाद मौसम में बदलाव होगा। आसमान में मध्यम बादल छाए रहेंगे। वहीं चार-पांच दिसंबर को बूंदाबांदी हो सकती है। पछिया हवा की गति तेज होने कारण ठंड में भी इजाफा होगा। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान में यह बात कही गई है। अगले 5 दिसंबर तक के लिए जारी पूर्वानुमान में कहा है कि पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में मध्यम बादल आ सकते हैं।
इस अवधि में मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। हालांकि बेगूसराय, समस्तीपुर, दरभंगा एवं मधुबनी जिलों के एक-दो स्थानों पर चार-पांच दिसंबर के आसपास बूंदाबांदी हो सकती है। इस दौरान अधिकतम तापमान 24 से 27 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 12 से 14 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। इस दौरान औसतन 8 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अगले 4 दिनों तक पछिया हवा तथा उसके बाद पुरवा हवा चलने का अनुमान है। रात्रि एवं सुबह में हल्के कुहासे छा सकते सकत हैं। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 55 से 65 प्रतिशत रहने की संभावना है।
ठंड से पशुओं की सुरक्षा जरूरी, घरेलू उपाय भी कारगर
बेतिया। दिसंबर माह शुरू होते ही ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। रात में तापमान काफी नीचे गिर जाता है। ऐसे में इन दिनों पशुओं की सुरक्षा काफी जरूरी है। खासकर दुधारू पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। पशु चिकित्सक डॉ अतुल कुमार ने बताया कि ठंड बढ़ने पर पशुओं की विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। इसकी अनदेखी पशुओं की जान भी ले सकती है। पशुओं को ठंड से बचाने में घरेलू उपाय भी काफी महत्वपूर्ण है। ऐसा करके भी ठंड से पशुओं की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस माह में तापमान अचानक कम हो जाता है और भीषण ठंड रहती है। जिस कारण पशुओं को अत्यधिक सर्दी से बचाने के उपाय किए जाने चाहिए व रात में पशुओं को कभी भी खुले में नहीं बांधना चाहिए। गर्म स्थान पर जैसे छत के नीचे या घास फूस के छप्पर के नीचे रखना चाहिए। लेकिन फर्श गीले या ठंडे नहीं होने चाहिए।
धूप निकलने की स्थिति में पशुओं को खुले धूप में बांधना चाहिए, सूर्य की किरणें जीवाणु और विषाणु को नष्ट करने में सक्षम होती है। अधिक ठंड होने पर पशु के शरीर को गर्म रखने के लिए शरीर पर कपड़ा या जूट की बोरी बांधकर रखना चाहिए। पशुओं की सुरक्षा के लिए जमीन पर पुआल या पत्तियां बिछाए और इनको बदलते रहें। बाड़े में अलाव की व्यवस्था करने पर ध्यान रहे कि वहां धुआं न भरने पाए। जहां पशु बांधे जाते हैं उस जगह की नियमित सफाई के अलावे सप्ताह में कम से कम एक दिन पूरी तरह सफाई की जानी चाहिए। बाड़े को फिनाइल से और उनके बर्तन को पोटैशियम परमैगनेट से धोएं।
आहार पर विशेष ध्यान की जरूरत
ठंड में पशुओं को तंदुरुस्त रखने के लिए विशेष आहार की जरूरत पड़ती है। पशुओं की पाचन क्रिया बढ़ जाती है। पशु चिकित्सक ने कहा कि आहार में ऊर्जा की मात्रा बढ़ानी चाहिए। गुड़ व तेल की अतिरिक्त मात्रा, जीरा-अजवायन, बाजरे की दलिया इसके बेहतर विकल्प हैं। चावल का चोकर मूंग, उर्द या चना की चूनी का बना पशु आहार, खड़िया मिट्टी, पिसा पत्थर व साधारण नमक को अनुपात में मिलाकर शीरे से उपचारित भूसा भी दिया जा सकता है। प्रति दिन करीब सात लीटर दूध देने वाले पशु के लिए दस से बारह किलोग्राम उपचारित भूसा पर्याप्त होता है। बेहतर हो कि इस मौसम में पशु को गुन-गुना या नल से निकला ताजा पानी पिलाएं। हरे चारे में पानी की मात्रा 80-90 फीसद होती है, इसलिए इसे जरूरत से अधिक न दें। नवजात बच्चे को खीस जरूर पिलाएं। डायरिया और चर्म रोग से बचने के लिए कीड़ा मारने की दवा भी समय-समय पर देती रहनी चाहिए।
बीमारी के लक्षण दिखते ही चिकित्सक से ले सलाह
डॉ अतुल कुमार ने बताया कि ठंड के दिनों में पशुओं को कई रोग होता है। ठंड से सुरक्षा मिलने पर कोई रोग पशुओं के पास नहीं फटकते। अगर बीमारी हो जाए तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि ठंड में हाइपोथर्मियां एक आम बीमारी है। इसके शिकार होने पर पशु के कान, नाक व अंडकोश बर्फ जैसा ठंडा हो जाता है। उसके सांस व हृदय की गति कम होती जाती है। पशु अचेत होकर मर भी सकता है। ठंड जनित एक अन्य रोग में पशु की त्वचा पर बुरा असर पड़ता है। पशु सुस्त पड़ जाता है। बाल खड़े हो जाते हैं, शरीर सिकुड़ जाता है। खाना बंद करना, नाक से पानी गिरना अन्य लक्षण हैं। कोल्ड डायरिया के कारण निर्जलीकरण से भी पशु की मौत हो सकती है। पशुओं में इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक से सलाह काफी जरूरी है।