मुजफ्फरपुर: गैस सिलेंडर के इस्तेमाल में कई स्तरों पर रखनी होगी सावधानी

सिलेंडर लेते समय लीकेज के साथ परखें उसकी जांच की तिथि। चूल्हे को हमेशा सिलेंडर से रखें दूर इमरजेंसी में करें 1906 पर फोन। गैस सिलेंडर के इस्तेमाल के दौरान कई बिंदुओं पर जागरूकता व सावधानी जरूरी है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 11:12 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 01:42 PM (IST)
मुजफ्फरपुर: गैस सिलेंडर के इस्तेमाल में कई स्तरों पर रखनी होगी सावधानी
जब भी गैस आपके घर में आता है उसकी जांच वेंडर से कराएं।

मुजफ्फरपुर, जासं। किसी भी आपदा को नियंत्रित करने या टालने के लिए जागरूकता और सावधानी जरूरी है। गर्मी में अगलगी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसके एक कारण में गैस चूल्हे की आग भी शामिल है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। जागरूकता की कमी से कई स्तरों पर चूक हो जाती है। इससे गैस सिलेंडर की आग से बड़ा हादसा हो जाता है। इसे देखते हुए गैस सिलेंडर के इस्तेमाल के दौरान कई बिंदुओं पर जागरूकता व सावधानी जरूरी है।

डिलीवरी के सयम वेंडर से कराएं सिलेंडर की जांच

जब भी गैस आपके घर में आता है उसकी जांच वेंडर से कराएं। यह देखें कि कहीं से उसमें लीकेज तो नहीं। इसके अलावा सिलेंडर के ऊपरी भाग में एक जगह ए,बी,सी या डी के साथ वर्ष अंकित रहता है। यह बताता है कि सिलेंडर की इस तिथि को जांच की जानी है। अगर यह तिथि डिलीवरी के समय से पहले की है तो दूसरा सिलेंडर देने का आग्रह करें।

मझौली धर्मदास की वीणा कुमारी कहती हैं कि वेंडर जल्दबाजी में सिलेंडर पहुंचाता है। बमुश्किल उसका वजन ही चेक करता है। इससे कई बार परेशानी झेलनी पड़ी है। मिठनपुरा की मंजू सिंह कहती हैं, वेंडर से लीकेज की जांच के बाद ही सिलेंडर लेती हूं। हां, ऊपर में ए, बी, सी या डी के साथ लिखे वर्ष को लेकर जानकारी नहीं है। इस बारे में एजेंसी ना वेंडर के बारे में बताया जाता है। इस बारे में जानकार बताते हैं कि सिलेंडर पर अंकित तिथि के बाद अगर उसका इस्तेमाल होता है तो यह खतरनाक हो सकता है। क्योंकि एक तरह से यह सिलेंडर की वह तिथि है जबकि उसकी फिर से जांच होकर इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है। अगर ए के साथ कोई वर्ष अंकित है तो यह माना जाना चाहिए कि उस साल मार्च तक यह सिलेंडर इस्तेमाल के लिए सही है। इसी तरह बी का मतलब जून, सी का मतलब सितंबर और डी का मतलब दिसंबर होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता जरूरी

इस बारे में इंडेन के सीनियर सेल्स ऑफिसर अमन विश्वकर्मा कहते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की अधिक जरूरत है। सिलेंडर से सटाकर चूल्हे को जलाना खतरनाक है। इसके अलावा गांवों में लोग पाइप नहीं बदलते। यह सबसे खतरनाक है। जरूरी है एक तो अच्छी क्वालिटी का पाइप लगाएं। वहीं इसपर लिखे एक्सपायरी डेट पर उसे बदल दें। रेग्यूलेटर या चूल्हे के पास अगर यह कट जाए तो भी उसे बदल दें। चूल्हा हमेशा आइएसआइ मार्का का ही इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि सिलेंडर जल्दी नहीं फटता। सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर इसे बनाया जाता है। वहीं सिलेंडर एक्सपायर नहीं होता। उसपर वर्ष के साथ अंकित ए,बी,सी या डी सिलेंडर की जांच की तिथि होती है। जांच के बाद उसपर नई तिथि देकर इस्तेमाल किया जाता है। कावेरी गैस एजेंसी के महेश्वर प्रसाद सिंह कहते हैं, उनके स्तर से उपभोक्ताओं को हमेशा जागरूक किया जाता है। इसके लिए समय-समय पर पंपलेट वितरित किए जाते हैं। उसपर अमल हो तो हादसे कम होंगे।

इन बातों पर करें अमल

- एलपीजी इंस्टॉलेशन के हर दो साल पर नियमित जांच कराएं

- पाइप की नियमित जांच करें। कहीं भी छेद या फटे होने पर बदलें।

- आइएसआइ चिह्न वाले पाइप और चूल्हे का इस्तेमाल करें।

- रात में सोने से पहले रेग्युलेटर को बंद करें

- गैस की गंध आने पर रेग्युलेटर को तुरंत बंद करें। बिजली का स्विच ऑन या ऑफ नहीं करें।

- पाइप में आग पकड़े तो घबराएं नहीं। रेग्यूलेटर ऑफ करने की कोशिश करें।

इस नंबर पर दें सूचना

गैस सिलेंडर से किसी तरह के हादसे को लेकर तत्काल 1906 नंबर पर फोन करें। 

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