Muzaffarpur Sadar Hospital: शिशु रोग विशेषज्ञ से करा रहे जनरल इमरजेंसी, डीएम ने जताई नाराजगी

सदर अस्पताल में एईएस कंट्रोल रूम का उद्घाटन करने पहुंचे थे डीएम। शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने डीएम को बताई अपनी पीड़ा। डीएम ने हिदायत दी कि यहां पर महिला शिशु व जनरल ओपीडी के लिए रोस्टर अलग-अलग होना चाहिए।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 09:10 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 09:10 AM (IST)
Muzaffarpur Sadar Hospital: शिशु रोग विशेषज्ञ से करा रहे जनरल इमरजेंसी, डीएम ने जताई नाराजगी
डीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए खुद इसकी समीक्षा करने को कहा।

मुजफ्फरपुर, जासं। सदर अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ से उनके विभाग के बदले जनरल इमरजेंसी कराई जा रही है। इससे एसएनसीयू, एनआरसी, पीआइसीयू में भर्ती बच्चों के इलाज में परेशानी हो रही है। उनकी तबीयत बिगडऩे पर उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है। सदर अस्पताल में सोमवार को एईएस कंट्रोल रूम का उद्घाटन करने पहुंचे जिलाधिकारी प्रणव कुमार से शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.एमएन कमाल ने अपनी पीड़ा बताई। डीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए खुद इसकी समीक्षा करने को कहा। 

जिलाधिकारी ने कहा कि जब मातृ-शिशु सदन, पीआइसीयू व परिसर में एसएनसीयू व एनआरसी चल रहा है तो उसके लिए अलग इमरजेंसी रोस्टर होना चाहिए। डीएम ने हिदायत दी कि यहां पर महिला, शिशु व जनरल ओपीडी के लिए रोस्टर अलग-अलग होना चाहिए। उन्होंने आश्चर्य जताया कि पूर्व सिविल सर्जन द्वारा जारी किया किए गए नए रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है।

कुव्यवस्था से चिकित्सक परेशान

विभाग की ओर से बच्चों के बेहतर इलाज के लिए चार विशेषज्ञ चिकित्सक अभिषेक तिवारी, डॉ.चिनमय, डॉ.एमएन कमाल व डॉ.नवीन कुमार की सेवा सदर अस्पताल को दी जा रही है। इनसे ओपीडी के बाद सीधे जनरल इमरजेंसी में सेवा ली जा रही है। वहीं, कई चिकित्सकों को जनरल ओपीडी से राहत दी गई है। डॉ.कमाल ने बताया कि चार विशेषज्ञ चिकित्सक से शिशु इमरजेंसी में सेवा लेने से इलाज व्यवस्था मजबूत होगी। सभी का रोस्टर एसएनसीयू, पीआइसीयू व एनआरसी में होना चाहिए। ओपीडी सेवा दोपहर दो बजे बंद हो जाती है। इससे दोपहर दो से दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक भर्ती बच्चों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। तीन दिसंबर 2020 को तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ.एसपी ङ्क्षसह का आदेश हुआ था कि शिशु विभाग को अलग किया जाए। इस पर 24 दिसंबर 2020 को रोस्टर बना, लेकिन सुबह में आदेश निकला और शाम होते-होते उसे निरस्त कर दिया गया। इससे बच्चों का इलाज प्रभावित हो रहा है। इस बीच 31 दिसंबर को सिविल सर्जन सेवानिवृत्त हो गए। अब शिशु रोग विशेषज्ञों को जिलाधिकारी पर भरोसा है।  

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