Muzaffarpur:शराब या उसके धंधे को बढ़ावा देने वाले पदाधिकारियों व कर्मियों की रिपोर्ट तलब

पुलिस और उत्पाद से अलग अन्य जिले के अन्य विभागों की भी खंगाली जा रही कुंडली। जिले में एक-एक बीडीओ व सीओ एवं एक लेखा विभाग के लिपिक पर दर्ज हुआ था मामला। अगर वे कानून को लागू कराने के मामले में लापरवाह हैं तो उनपर भी कार्रवाई होगी।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 09:34 AM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 09:34 AM (IST)
Muzaffarpur:शराब या उसके धंधे को बढ़ावा देने वाले पदाधिकारियों व कर्मियों की रिपोर्ट तलब
पुलिस विभाग से अनुशासनिक कार्यवाही की रिपोर्ट प्राप्त हो रही है।

मुजफ्फरपुर, जासं। राज्य में लागू मद्यनिषेध कानून को सख्ती से लागू कराने में पुलिस और उत्पाद के अलावा अन्य दूसरे विभागों के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की भी भूमिका है। अगर वे कानून को लागू कराने के मामले में लापरवाह हैं तो उनपर भी कार्रवाई होगी। सरकार ने पुलिस और उत्पाद से इतर अन्य विभागों के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तलब की है जिन्होंने मद्यनिषेध कानून को लागू कराने में लापरवाही बरती। शराब या उसके धंधे को बढ़ावा दिया। पुलिस अधीक्षक मद्यनिषेध ने डीएम, एसएसपी व रेल एसपी को पत्र लिखकर ऐसे पदाधिकारियों और कर्मचारियों की सूची भेजने का आग्रह किया है।

पत्र में कहा गया है कि शराब को बढ़ावा देने वाले सभी विभागों के पदाधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध चल रही कार्यवाही की मॉनीटरिंग की जानी है। पुलिस विभाग से अनुशासनिक कार्यवाही की रिपोर्ट प्राप्त हो रही है। मगर, दूसरे विभाग से इस तरह की रिपोर्ट नहीं मिल रही। इसे देखते हुए वर्ष एक अप्रैल 2016 से फरवरी 2021 तक के मामलों की रिपोर्ट शनिवार तक उपलब्ध करा दें। इसके अलावा प्रत्येक माह दो तारीख को यह रिपोर्ट ईमेल से भेजने का आग्रह किया गया है।

गायघाट के सीओ निशिकांत नशे में हुए थे गिरफ्तार

जिले में शराब को बढ़ावा देने के मामले में दो पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। गायघाट के तत्कालीन सीओ निशिकांत को पुलिस ने 20 जनवरी 2018 को शराब के नशे में गिरफ्तार किया था। वहीं पारू के तत्कालीन बीडीओ रत्नेश कुमार के आवास से शराब के नशे में तुलसी राय को गिरफ्तार किया गया था। दोनों पदाधिकारियों के खिलाफ विभाग ने कार्रवाई की। इसके अलावा जिला लेखा कार्यालय के लिपिक रंजीत कुमार को शराब के नशे में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। मगर, जेल जाने की जगह उसने कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज फर्जी तरीके से दर्ज कराकर कार्रवाई से बच गया था। बाद में मामले की खबर प्रकाशित होने पर डीएम ने संज्ञान लिया। विभागीय कार्यवाही के बाद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।  

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