मुजफ्फरपुर: प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रति बेपरवाह हो रहे लोग, जहर घोल रहे
शहर से निकलने वाला गंदा पानी बगैर उपचार के सीधे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। कई मुहल्लों में तो घर का पानी को मल-जल आसपास के पोखर एवं तालाब में प्रवाहित कर दिया जाता है। इससे भूजल का संचित भंडार दूषित होता है।
मुजफ्फरपुर, जासं। हम प्राकृतिक जल स्रोतों में जहर घोलते जा रहे हैं। हमें इस बात की जरा भी परवाह नहीं कि यह जहर हमें ही नुकसान पहुंचाएगा। जी हां, शहर में न ड्रेनेज सिस्टम है और न ही सीवरेज सिस्टम का विकास हो पाया है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़क एवं खुली जगहों पर बहता है। वहीं शहर से निकलने वाला गंदा पानी बगैर उपचार के सीधे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। कई मुहल्लों में तो घर का पानी को मल-जल आसपास के पोखर एवं तालाब में प्रवाहित कर दिया जाता है। इससे भूजल का संचित भंडार दूषित होता है। लोग बीमार होते हैं और उन्हें इलाज पर लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इससे बचने के लिए हमें प्राकृतिक जल स्रोतों को दूषित होने से बचाना होगा।
दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के तहत रविवार को लोगों से जल संरक्षण पर चर्चा की गई तो यह बात सामने आई। समाजसेवी शशि भूषण पंडित ने कहा कि शहर के उत्तरी भाग से बूढ़ी गंडक नदी बहती है। यह शहर के लिए वरदान से कम नहीं, लेकिन प्रकृति से मिले इस वरदान को हम शहर का गंदा पानी डालकर दूषित कर रहे हैं। यदि शहर से निकलने वाला गंदा पानी नदी में डालना मजबूरी है तो हम ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर गंदा पानी का पहले उपचार करे फिर उसे नदी में प्रवाहित करें। सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. एके सिंह ने बताया कि नदी, पोखर एवं तालाब के माध्यम से बारिश का पानी धरती के अंदर जाता है। यदि नदी, पोखर एवं तालाब का पानी दूषित होगा तो धरती के अंदर संचित पानी भी पीने लायक नहीं होगा। यह बात हम नहीं समझ पाते और खुलेआम नदी के पानी में कचरा डालते हैं और घर का गंदा पानी प्रवाहित करते हैं। इससे न सिर्फ एक दिन नदी नाला बन जाएगा बल्कि भूजल दूषित हो जाएगा। इस पानी को पीकर हम बीमार होंगे। हमें नदी, पोखर एवं तालाब को बचाना होगा। इसके लिए निगम आगे आना होगा। पहले निगम को नदी में गंदगी बहाने से बाज आना होगा। निगम को स्वयं भी नदी में गंदा पानी प्रवाहित करने से बचना होगा।