Muzaffarpur news: सौ साल से अपने भवन के इंतजार में उर्दू मध्य विद्यालय मखदुमियां
Muzaffarpur news 1922 में हुई थी विद्यालय की स्थापना 2014 तक किराये के मकान में हुआ संचालन वार्ड 11 से जूरन छपरा रोड नंबर-4 स्थित मध्य विद्यालय में किया गया शिफ्ट बेंच-डेस्क का भी अभाव कुछ विद्यार्थियों को जमीन पर बैठकर पढऩा मजबूरी।
मुजफ्फरपुर, जासं। शहर के अति व्यस्ततम क्षेत्र जूरन छपरा रोड नंबर-4 स्थित उर्दू मध्य विद्यालय मखदुमियां को 2022 में सौ साल पूरे हो जाएंगे। अब तक यह अपने भवन का इंतजार कर रहा है। इसकी स्थापना 1922 में हुई थी। 2014 तक यह किराये के मकान में चलता रहा। योगियामठ सहित अन्य कई जगहों पर जब स्कूल को अपना भवन नहीं मिला तो वार्ड 11 से इसे जूरन छपरा मध्य विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया। उक्त विद्यालय परिसर में एक आंगनबाड़ी केंद्र का भवन है । उसके दो छोटे-छोटे कमरों के साथ दो छोटे और कमरे दिए गए हैैं। यानी चार कमरे में एक से आठवीं तक की कक्षाओं का संचालन हो रहा।
दैनिक जागरण के अभियान आपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत जब इस विद्यालय की पड़ताल की गई तो बताया गया कि यहां 277 विद्यार्थियों का नामांकन है। इनको बैठने तक ही व्यवस्था नहीं है। बेंच-डेस्क के अभाव में कुछ बच्चे जमीन पर बैठकर पढऩे को मजबूर हैैं । ऐसे में कोविड मानकों का पालन करने में भी परेशानी हो रही है। कांटी तक के बच्चे यहां पढऩे आते हैं । विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए नौ शिक्षक हैैं। इनमें शिक्षक मजहरूल हसन 2015 यानी छह साल से गायब हैं । बीपीएससी से योगदान करने के बाद वह दोबारा लौटकर नहीं आए। उनका कोई पता नहीं चल रहा है । विद्यार्थियों से कुछ सवाल पूछे तो उनका कुछ ने सही तो कुछ ने गलत जवाब दिया। बताया गया कि इस विद्यालय में पढऩे के बाद कई शिक्षाविद और कई अफसर भी बने, लेकिन किसी ने इसकी दशा बदलने की दिशा में प्रयास नहीं किया।
- शिक्षकों की कमी है। अपना भवन मिल जाता तो इस स्कूल का अच्छे से संचालन किया जा सकता है। कमरे के अभाव में बच्चों की पढ़ाई में परेशानी होती है। - मो.रेयाज अहमद, प्रधानाध्यापक, उर्दू मध्य विद्यालय, मखदुमिया