Muzaffarpur News: एंटी रेबीज इंजेक्शन रहने के बावजूद एसकेएमसीएच किया जा रहा रेफर
एसकेएमसीएच के अधीक्षक ने सिविल सर्जन को दी सूचना मची खलबली कहा जब सदर अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध है तो लोगों को रेफर क्यों किया जा रहा हैं। वहीं सदर अस्पताल की एक नर्स ने दी निजी क्लीनिक में जाने की सलाह फिर हंगामा शुरू हो गया।
मुजफ्फरपुर, जासं। सदर अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन रहने के बावजूद मरीजों को एसकेएमसीएच रेफर किया जा रहा है। इसकी सूचना एसकेएमसीएच के अधीक्षक डा.बीएस झा ने सिविल सर्जन को दी। उसके बाद सीएस ने उपाधीक्षक से जवाब तलब किया है। सीएस डा. विनय कुमार शर्मा कहा कि इंजेक्शन रहते हुए रेफर करना उचित नहीं है। इसके लिए जो जवाबहेह होंगे उनपर सख्त एक्शन लिया जाएगा। इस संबंध में उपाधीक्षक डा. एनके चौधरी ने कहा कि 24 घंटे के अंदर स्टोर इंचार्ज को जवाब देने के लिए कहा गया है। बताते हैं कि एसकेएमसीएच अधीक्षक डा.बीएस झा ने सिविल सर्जन को पत्र लिखकर जानकारी दी कि सदर अस्पताल में एंटी रेबीज सूई उपलब्ध है तो लोगों को एंटी रेबीज सूई लेने के लिए रेफर क्यों किया जा रहा हैं। इसके बाद वहां पर खलबली मची है।
सदर अस्पताल में आई महिला को बता दिया निजी अस्पताल का रास्ता
सदर अस्पताल स्थित एमसीएच के ओपीडी में सोमवार को अपने तीन माह के बीमार ब'चे को दिखाने आई निशा देवी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उसके बाद वह हंगामा करने लगी। मामला सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा के पास पहुंचा। उनके हस्तक्षेप के बाद प्रधान लिपिक गुणानंद चौधरी ने पहल कर आउटडोर में इलाज कराया।
एमसीएच में नहीं थे चिकित्सक
मड़वन मकदुमपुर की मंजू देवी पतोहू निशा के साथ पोते के इलाज के लिए करीब 11 बजे सदर अस्पताल पहुंची। उस समय मातृ-शिशु सदन में चिकित्सक नहीं बैठे थे। इंतजार करते-करते ब'चे की हालत बिगडऩे लगी तो वह नर्स से मिलकर ब'चे के हालत के बारे में बताई। नर्स ने जवाब दिया कि यहां पर बेकार आई हो, जाओ किसी निजी अस्पताल में जाकर देखा लो। उसके बाद उनलोगों ने हंगामा किया। आधा घंटे के बाद जब चिकित्सक नहीं मिले तो उसके बाद निशा व उसकी सास ने उपाधीक्षक कार्यालय पहुंचकर ब'चे के इलाज में सहयोग करने को कहा। उसके बाद सिविल सर्जन कार्यालय पहुंची। वहां पर अपने ब'चे की जान बचाने की गुहार करने लगी। वहां पर लोगों की भीड़ लग गई। आउटडोर में चिकित्सक नहीं रहने पर व्यवस्था पर सवाल उठाया। इसकी जानकारी होने पर सीएस डा. शर्मा ने इसको गंभीरता से लिया। उसके बाद प्रधान लिपिक ने खुद पहल कर ब'चे को आउटडोर में भेजा जहां पर उसका इलाज कराया गया। सीएस ने इस संबंध में उपाधीक्षक से जवाब मांगा है। सीएस ने कहा कि चिकित्सक का रोस्टर हर हालत में डिस्प्ले होना चाहिए।