Muzaffarpur: मृत मनियारी अस्पताल को मिलेगी 'संजीवनी', तीन दशक बाद फिर से खुलने की उम्मीद

Muzaffarpur news कुढऩी प्रखंड स्थित मनियारी अस्पताल के करीब तीन दशक बाद फिर से खुलने की उम्मीद जग गई है।डीसीएलआर पूर्वी ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट अस्पताल के सरकारीकरण की अनुशंसा। 1952 के जिला गजट में है 24 बेड के इस अस्पताल का जिक्र।

By Murari KumarEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 11:20 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 11:20 AM (IST)
Muzaffarpur: मृत मनियारी अस्पताल को मिलेगी 'संजीवनी', तीन दशक बाद फिर से खुलने की उम्मीद
मनियारी स्थित वर्षो से बंद पड़े महंत मनियारी अस्पताल को फिर से चालू करने की कवायद की जा रही है

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। कुढऩी प्रखंड स्थित मनियारी अस्पताल के करीब तीन दशक बाद फिर से खुलने की उम्मीद जग गई है। यह अस्पताल अब पूर्ण रूप से सरकारी होकर चालू हो सकता है। इस संबंध में डीसीएलआर पूर्वी स्वप्निल ने डीएम प्रणव कुमार को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कहा गया है कि प्रस्तावित अस्पताल सरकार से स्वीकृत होता है तो मनियारी के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को स्वास्थ्य सेवा का बेहतर लाभ मिलेगा। मालूम हो कि मनियारी अस्पताल प्रबंधन समिति के सचिव प्रमोद कुमार सिंह एवं अध्यक्ष दिलीप कुमार ठाकुर की ओर से अस्पताल को चालू कराने का प्रयास किया गया है।

 राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के अलावा जिला प्रशासन को इसके लिए पत्राचार किया गया। डीएम के निर्देश पर डीसीएलआर पूर्वी ने पिछले दिनों बंद पड़े अस्पताल का जायजा लिया। रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि 1952 के प्रकाशित जिला गजट में 4.23 एकड़ जमीन पर बने 24 बेड के मनियारी अस्पताल का जिक्र है। यह अस्पताल डिस्ट्रिक्ट बोर्ड से संचालित था। 1992 में डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के भंग होने के बाद से अस्पताल बंद हो गया। कुढऩी के अंचल अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार महंत दर्शन दास के शिष्य विश्म्भर कुमार शर्मा ने जुलाई 1987 में भूमि गिफ्ट की थी। इसमें अस्पताल के निर्माण की बात अंकित है।

 साथ ही तत्कालीक कार्यरत अस्पताल के सभी उपस्कर भी निर्माण होने वाले अस्पताल को दान देने की बात प्रबंधन समिति से अनुमोदित होने की बात कही गई है। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्यपाल को दिए गए दान को ट्रस्ट को वापस करने की सूचना भी अंकित है। इन सब बातों के बीच वर्तमान  परिप्रेक्ष्य में अस्पताल को सरकार से स्वीकृत किया जाना क्षेत्र के लोगों के लिए लाभकारी होगा।

इस संबंध में प्रबंधन समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार ठाकुर कहते हैं कि बीच में अस्पताल की जमीन पर निर्माण कार्य का प्रयास किया गया था। साथ ही इसकी जमाबंदी को लेकर अपर समाहर्ता के यहां वाद दायर किया गया था, मगर अब महंत दर्शन दास के वंशज भी जमीन सरकार को देने को राजी हैं। इसमें अस्पताल का नाम महंत दर्शन दास करने की शर्त रखी गई है। उन्होंने बताया कि चालू स्थिति में यहां छह से सात चिकित्सक काम करते थे। यहां पोस्टमार्टम हाउस भी था। अब भी दो मंजिला भवन में आठ कमरे हैं। साथ ही चार हॉल है। अस्पताल खुल जाए तो यहां के लोगों को 20 किमी दूर इलाज कराने नहीं जाना होगा। 

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