Muzaffarpur: साहेबगंज थानाध्यक्ष समेत दो के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट, जानिए क्या है वजह

Muzaffarpur News एक हत्या मामले में लंबे समय से गवाही के लिए उपस्थित नहीं होने पर एडीजे 11 ने साहेबगंज थानाध्यक्ष अनूप कुमार व दारोगा राजीव कुमार तिवारी के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया है।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 09:13 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 09:13 AM (IST)
Muzaffarpur: साहेबगंज थानाध्यक्ष समेत दो के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट, जानिए क्या है वजह
साहेबगंज थानाध्यक्ष समेत दो के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश। (सांकेतिक तस्वीर)

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। हत्या मामले में लंबे समय से गवाही के लिए उपस्थित नहीं होने पर एडीजे 11 ने साहेबगंज थानाध्यक्ष अनूप कुमार व दारोगा राजीव कुमार तिवारी के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया है। बताया गया कि ये दोनों  बरूराज चौकिया के सूरज सहनी की हत्या में गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हंै। 

बता दें कि 2018 में सूरज की हत्या कर दी गई थी। मामले में सूरज की पत्नी रामदुलारी देवी ने सिंघेश्वर सहनी व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जांच के बाद पुलिस ने दिसंबर 2018 में सिंघेश्वर सहनी को गिरफ्तार किया था। मार्च 2019 में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इन दोनों पुलिसकर्मियों को छोड़कर अन्य सभी छह गवाहों का बयान हो चुका है। इससे कोर्ट की कार्यवाही रुकी है। इस मामले में 22 अप्रैल को अगली सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई है। 

ट्रक चालक के पुत्र लापता मामले में दूसरे दिन भी प्राथमिकी नहीं

सदर थाना के सर गणेशदत्त नगर से ट्रक चालक रंजन कुमार के पुत्र सनी कुमार के लापता होने के मामले में दूसरे दिन भी पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। उसकी मां पुतुल देवी ने शुक्रवार को थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। अप्रिय घटना को लेकर अनहोनी की आशंका जताई गई थी। बावजूद इसके पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। प्राथमिकी दर्ज करना तो दूर छानबीन भी शुरू नहीं हुई है। महिला ने बताया था कि शुक्रवार की दोपहर सनी (14) घर से बाजार सामान लेने निकला था। इसके बाद घर नहीं लौटा। काफी खोजबीन की गई। पर पता नहीं लगा। इसके बाद महिला ने थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की मानें तो सनी बाइक लेकर घर से गया था। उसकी तलाश की जा रही है। 

बता दें कि पूर्व भी ऐसे कई मामले सामने आए थे। जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने में थानाध्यक्ष टालमटोल करते रहे। वरीय पदाधिकारियों की फटकार के बाद कांड अंकित हुआ था। 

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