Muzaffarpur Navruna case: सीबीआइ की ओर दाखिल अंतिम प्रपत्र के कानूनी बिंदु पर 29 अक्टूबर को सुनवाई
सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक वीके सिंह व नवरुणा के माता-पिता की ओर से अधिवक्ता शरद सिन्हा ने बहस की। इस सुनवाई के दौरान नवरुणा के माता-पिता सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ की ओर से दाखिल चार लिफाफों के अवलोकन का आदेश देने की कोर्ट से प्रार्थना की है।
मुजफ्फरपुर, जासं। नवरुणा मामले में सीबीआइ की ओर से दाखिल अंतिम प्रपत्र के कानूनी बिंदु पर विशेष सीबीआइ कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके लिए 29 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की गई है। इसके तथ्यों के बिंदु पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। इसमें सीबीआइ की ओर से विशेष लोक अभियोजक वीके सिंह व नवरुणा के माता-पिता की ओर से अधिवक्ता शरद सिन्हा ने बहस की। इस सुनवाई के दौरान नवरुणा के माता-पिता सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ की ओर से दाखिल चार लिफाफों के अवलोकन का आदेश देने की कोर्ट से प्रार्थना की है। वहीं सीबीआइ इसका विरोध कर रही है।
जांच के दौरान सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए थे चार लिफाफे
नवरुणा मामले की जांच की डेडलाइन बढ़ाने के लिए सीबीआइ की ओर से समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट में चार लिफाफे दाखिल किए गए। ये छह अप्रैल 2016, एक मई 2019, 21 अगस्त 2019 व 10 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए थे। सुप्रीम कोर्ट न 29 जनवरी 2021 को इन्हें सीबीआइ को लौटा दिया। इस मामले में सीबीआइ ने साक्ष्य नहीं मिलने की बात बता मुजफ्फरपुर के विशेष सीबीआइ कोर्ट में अंतिम प्रपत्र दाखिल किया तो उसने इसके साथ इन लिफाफों को नहीं सौंपा। नवरुणा के माता-पिता की ओर से इस पर आपत्ति जताते हुए विशेष कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर इन लिफाफों के अवलोकन करने का आदेश देने की प्रार्थना की थी।
सुरक्षा को लेकर एसएसपी से लगाई गुहार
नवरुणा के माता-पिता ने एसएसपी से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने इस संबंध में एक अर्जी एसएसपी को दी है। इसमें कहा है कि उनके लिए प्रतिनियुक्त सुरक्षा गार्ड को हटा दिया गया है। इससे वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। वे सुनवाई के दौरान कोर्ट भी नहीं पहुुंच रहे हैं।
यह है मामला
17-18 सितंबर 2012 की रात नगर थाना के जवाहरलाल रोड स्थित आवास से सोई अवस्था में नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था। 26 नवंबर 2012 को उसके घर के पास सफाई के दौरान नाले से मानव कंकाल मिला था। डीएनए जांच से वह कंकाल नवरुणा का साबित हुआ। शुरू में इसकी जांच पुलिस व सीआइडी ने की। वर्ष 2014 से इसकी जांच सीबीआइ ने शुरू की। पिछले साल सीबीआइ ने साक्ष्य नहीं मिलने की बात कहते हुए जांच बंद कर विशेष कोर्ट में अंतिम प्रपत्र दाखिल किया। नवरुणा के माता-पिता कोर्ट में इसका विरोध कर रहे हैं।