मुजफ्फरपुर के सांसद बोले-घट गया पुलिस का इकबाल, 2005 वाला नहीं हाल

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सांसद अजय निषाद ने कहा है कि बिहार में पुलिस का इकबाल घट गया है। अपराधी का मनोबल इधर लगातार ऊंचा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 02:30 AM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 02:30 AM (IST)
मुजफ्फरपुर के सांसद बोले-घट गया पुलिस का इकबाल, 2005 वाला नहीं हाल
मुजफ्फरपुर के सांसद बोले-घट गया पुलिस का इकबाल, 2005 वाला नहीं हाल

मुजफ्फरपुर। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सांसद अजय निषाद ने कहा है कि बिहार में पुलिस का इकबाल घट गया है। अपराधी का मनोबल इधर लगातार ऊंचा है। 2005 के एनडीए शासन वाला हाल नहीं है। वे शनिवार को राणीसती मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत कर रहे थे। सांसद ने बिहार की विधि व्यवस्था को और मजबूत करने पर बल दिया। कहा कि 2005 से सीएम नीतीश कुमार ही हैं। प्रदेश की कमान उन्हीं के हाथों में है। अभी बिहार में ला एंड आर्डर की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। पुलिस और प्रशासन से मिलकर इसको मजबूत करने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने नीतीश कुमार का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि सीएम के पास बहुत काम रहता है। अन्य लोगों को भी इसका ख्याल रखना चाहिए। सभी काम तो वे नहीं कर सकेंगे। इसके लिए अलग-अलग विग बनाये गए हैं। सभी को दायित्व सौंपा गया है, जिनको जो काम सौंपा गया है, उसका ठीक तरीके से निर्वहन करें। इसके बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा। उनका इशारा प्रशासन के वरीय अधिकारियों पर था। एक सवाल के जवाब में कहा कि पुलिस राह चलते नहीं किसी को पकड़ लेती। पुलिस किसी को पकड़ती है तो उसका कोई न कोई कारण रहता है। बिहार की आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है अगर सबको पुलिस पकड़ती रहे तो हाजत से लेकर जेल तक जगह नहीं मिलेगी। यदि बिना आरोप किसी को पकड़ रही तो बिल्कुल गलत है। विधि व्यवस्था से जुड़े सवाल का दे रहे थे जवाब :

सांसद निषाद एक ट्रक ड्राइवर को अवैध हिरासत मामले मे सुप्रीम कोर्ट की ओर से बिहार सरकार को मिली फटकार एवं विधि व्यवस्था के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। कहा कि किसी को अवैध तरीके से 35 दिन तक हिरासत में रखना जुर्म है। दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जानकारी के अनुसार, बिहार पुलिस ने एक ट्रक ड्राइवर को 35 दिनों तक अवैध हिरासत में रखा था। इसको लेकर पटना हाईकोर्ट ने पांच लाख मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में लगता है कानून राज नहीं, पुलिस का राज है।

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