देशभर में मिसाल बना कचरा प्रबंधन का मुजफ्फरपुर मॉडल
कचरे से जैविक खाद बनाने में मुजफ्फरपुर मॉडल देशभर में मिसाल बन गया है। इसे केंद्रीय मॉडल मानकर देशभर के निकायों में अपनाने का काम किया है। नगर निगम द्वारा शहर में एरोबिक (ऐसी विधि जिसमे हवा की जरूरत होती है) से कचरे से खाद तैयार की जा रही है।
मुजफ्फरपुर। कचरे से जैविक खाद बनाने में मुजफ्फरपुर मॉडल देशभर में मिसाल बन गया है। इसे केंद्रीय मॉडल मानकर देशभर के निकायों में अपनाने का काम किया है। नगर निगम द्वारा शहर में एरोबिक (ऐसी विधि जिसमे हवा की जरूरत होती है) से कचरे से खाद तैयार की जा रही है। इसमें गीले कचरे को पिट में डालकर हवा व प्राकृतिक नमी के सहारे खाद तैयार की जाती है। इसके लिए न महंगे प्लांट की जरूरत है और न ही बड़ी राशि की। लोग अपने घर के कचरे से पिट बनाकर खाद तैयार कर सकते हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट एवं इंडियन टोबैकों कंपनी की मदद से पायलट प्रोजेकट के रूप में स्वच्छता, स्वास्थ्य व समृद्धि कार्यक्रम के तहत इसे दिसंबर 2016 में शुरू किया गया था। अब यह देशभर के लिए मॉडल बन गया है। पटना समेत उत्तर भारत के कई शहरों ने इसे अपनाया है। राज्य सरकार ने कचरे का एट सोर्स सेग्रीगेशन, डोर-टू-डोर कलेक्शन व प्रोसेसिग के तरीकों को राज्य के सभी निकायों में लागू करने का निर्देश दिया था। अपर नगर आयुक्त विशाल आनंद ने कहा कि कचरे से खाद तैयार करने के लिए न महंगे प्लांट की जरूरत है और न भारी भरकम व्यवस्था की। बस सहयोग करने की जरूरत है। निगम के साथ-साथ लोग घरों में भी इस विधि से कचरे से खाद तैयार कर सकते हैं।
कचरा बना शहर की समृद्धि का माध्यम : किसी भी शहर के लिए लोगों के घरों, दुकानों व कल-कारखानों से निकलने वाले हजारों टन कचरे का निष्पादन सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन, निगम ने इसे अपनी समृद्धि का माध्यम बना दिया है। निगम के सिटी मैनेजर ओम प्रकाश के अनुसार शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम चल रहा है। इसके लिए घर-घर हरे व नीले रंग के डस्टबिन दिए गए हैं। गीले कचरे को खाद बनाने के लिए शहर में बने चार प्रोसेसिंग सेंटर पर लाया जाता है। वहीं, सूखे कचरे को कबाड़ी को बेचा जाता है। हर माह सौ से डेढ़ सौ टन खाद का निर्माण हो रहा है। तैयार खाद पांच रुपये प्रतिकिलों की दर से बेची जा रही है। यह एकदम सरल व सस्ती विधि है।