Muzaffarpur Institute of Technology: यहां के विद्यार्थियों ने देशभर में दिखाई प्रतिभा

67वां स्थापना दिवस आज निरंतर बढ़ रहा प्लेसमेंट का आंकड़ा पूर्ववर्ती छात्रों से समन्वय कर रहा कालेज प्रशासन। लेदर इंडस्ट्री में अपशिष्टों से निकलने वाले क्रोमियम-6 की रिकवरी पर हो रहा शोध। राज्य सरकार ने इसे दिसंबर 2008 में माडल इंजीनियरिंग कालेज बनाने की घोषणा की थी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 08:55 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 08:55 AM (IST)
Muzaffarpur Institute of Technology: यहां के विद्यार्थियों ने देशभर में दिखाई प्रतिभा
राज्य सरकार ने इसे दिसंबर, 2008 में माडल इंजीनियरिंग कालेज बनाने की घोषणा की थी। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, जासं। आजादी के बाद 25 सितंबर, 1954 को एमआइटी (मुजफ्फरपुर इंस्टीट््यूट आफ टेक्नोलाजी) की स्थापना हुई थी। सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ शुरू हुए इस कालेज में आज मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, चमड़ा प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी व इलेक्ट्रानिक्स, संचार इंजीनियङ्क्षरग और बैचलर आफ फार्मेसी के अलावा एमटेक की भी पढ़ाई होती है। समय के साथ विकास करता गया यह कालेज उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच सका, जिसकी उम्मीद थी। 

राज्य सरकार ने इसे दिसंबर, 2008 में माडल इंजीनियरिंग कालेज बनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस पर काम नहीं हो सका। हालांकि यहां से पढ़कर निकले कई विद्यार्थी देश-दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं। पिछले तीन-चार वर्षों में कालेज ने राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं। राष्ट्रीय हैकथान में यहां की टीम ने लगातार दो बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है। वाटर मीटर प्रोजेक्ट को सरकार से स्वीकृति मिल गई है। इसपर कार्य करने के लिए 10 लाख रुपये दिए गए हैं। आइआइटी पटना में माडल तैयार किया जा रहा है। एमआइटी की ओर से इसे पेटेंट कराने को लेकर आवेदन भेजा गया है।

लेदर टेक्नोलाजी में अपशिष्ट प्रबंधन पर हो रहा शोध

सूबे का इकलौता संस्थान जहां लेदर टेक्नोलाजी में बीटेक की पढ़ाई होती है। इस ब्रांच के शिक्षक और छात्र लेदर इंडस्ट्री से निकलने वाले अपशिष्टों के प्रबंधन, निस्तारण व उसके पुर्नउपयोग पर शोध कर रहे हैैं। प्राध्यापक डा.मणिकांत और डा.मिथिलेश व छात्र बेला स्थित लेदर इंडस्ट्री से सैंपल एकत्र कर रहे हैं। डा.मणिकांत बताते हैं कि लेदर से जो अपशिष्ट निकलता है उसे सामान्य तरीके से पानी या भूमि पर नहीं फेंका जा सकता है। उसमें क्रोमियम-6 निकलता है जो कैंसर तक उत्पन्न कर देता है। शोध का उद्देश्य यही है कि इसे नियंत्रित कर पुर्नउपयोग के लायक बनाया जा सके।

प्राचार्य बोले- माहौल बेहतर हो इसके लिए निरंतर प्रयास जारी

एमआइटी के प्राचार्य डा.सीबी महतो ने बताया कि कालेज में छात्र-छात्राओं को बेहतर माहौल मिले इसके लिए निरंतर प्रयास हो रहा है। पढ़ाई के साथ ही यहां प्लेसमेंट बेहतर हो इसके लिए देश के विभिन्न शहरों में बड़े पदों पर कार्यरत यहां के छात्र और विदेशों में कार्यरत करीब 50 से अधिक पूर्ववर्ती छात्रों से समन्वय किया जा रहा है।

आइटी के ऋषभ को मिला 25 लाख का पैकेज

एमआइटी के सत्र 2017-21 के आइटी ब्रांच के छात्र ऋषभ कुमार का चयन 25 लाख सालाना पैकेज पर हुआ है। इसके अलावा गेट में भी संस्थान का रिकार्ड बेहतर रहा है। छात्रों ने पूर्व प्राचार्य स्मृतिशेष डा.जगदानंद झा के कार्यकाल की प्रशंसा की।

प्लेसमेंट की स्थिति :

सत्र, प्लेसमेंट की संख्या :

2014-18 : 24

2015-19 : 15

2016-20 : 64

2017-21 : 50  

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