हंगामेदार होगी मुजफ्फरपुर निगम बोर्ड की बैठक, नगर आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की तैयारी
ऑडिटोरियम में शुक्रवार को होने वाली नगर निगम बोर्ड की बैठक हंगामेदार होगी। कर्मचारियों के सामूहिक तबादले एवं महापौर की अनदेखी हंगामे का कारण बनेगी।
मुजफ्फरपुर। ऑडिटोरियम में शुक्रवार को होने वाली नगर निगम बोर्ड की बैठक हंगामेदार होगी। कर्मचारियों के सामूहिक तबादले एवं महापौर की अनदेखी हंगामे का कारण बनेगी। बैठक में नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की तैयारी है। हालांकि नगर आयुक्त बैठक में शामिल नहीं होंगे। अपनी गैर हाजिर रहने की सूचना उन्होंने दे दी है। कारण विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल होना बताया है। अपनी जवाबदेही उन्होंने उप नगर आयुक्त राकेश कुमार को सौंप दी है। उनके गैर हाजिर रहने को महापौर सुरेश कुमार खेमा जिम्मेदारी से भागना बता रहा है। वार्ड 23 के पार्षद राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि अनुपस्थित रहकर नगर आयुक्त महापौर को अपमानित करना चाहते हैं।
बैठक को लेकर गुरुवार को निगम कार्यालय गरम रहा। एक ओर नगर आयुक्त को कठघरे में खड़ा करने के लिए दिन भर महापौर कक्ष में पार्षदों की कई दौर की बैठकें हुई। उनके फैसलों को चुनौती देने के लिए रणनीति बनाई जाती रही। बिहार नगरपालिका अधिनियम के धाराओं की तलाश होती रही। दूसरी ओर अपर नगर आयुक्त की अध्यक्षता में निगम के सभी शाखा प्रभारियों एवं अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में सभी शाखा प्रभारियों को आंकड़ों एवं दस्तावेजों के साथ आने को कहा गया ताकि पार्षदों द्वारा उठाए गए सवालों पर सही जवाब दिया जा सके।
तबादले के फैसले को लेकर पार्षदों में मतभेद
कर्मचारियों के सामूहिक तबादले के अधिकार को लेकर नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय को बैठक में घेरने की बात को लेकर निगम के सभी पार्षद एक मत नहीं हैं। गुरुवार को इसको लेकर पार्षदों के बीच सहमति बनने का प्रयास किया गया लेकिन मतभेद बरकरार रहा। एक खेमा जहां नगर आयुक्त के फैसले को निरस्त करने को बैठक में हल्ला बोलने की तैयारी में है। दूसरा खेमा विवाद को बढ़ाने की जगह मिलजुल कर काम करने पर बल दे रहा है। वे कर्मचारियों के तबादले की जगह विकास के मुद्दे पर लड़ना चाह रहे हैं। एक माह से चल रहा महापौर व नगर आयुक्त में टकराव
पिछले एक माह से महापौर सुरेश कुमार एवं नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय के बीच अधिकारों को लेकर टकराव चल रहा है। दोनों एक दूसरे के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं। इसको लेकर बयानबाजी तक हो चुकी है। विवाद निगम से निकल सरकार तक पहुंच चुका है। महापौर न सिर्फ सरकार को पत्र लिखकर नगर आयुक्त की मनमानी की शिकायत कर चुके हैं बल्कि उप मुख्यमंत्री एवं नगर विकास व आवास मंत्री तारकिशोर प्रसाद से मिलकर अपनी बात रख चुके हैं। महापौर का कहना है कि नगर आयुक्त कायदे-कानून को ताक पर रखकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसले ले रहे हैं। जबकि नगर आयुक्त का कहना है कि वे नगरपालिका अधिनियम के तहत अपने काम को कर रहे हैं।