मुजफ्फरपुर: लीची गुठली से तैयार मछली दाने पर कृषि विवि की मुहर

मुजफ्फरपुर के ढोली स्थित मात्स्यिकी महाविद्यालय के विज्ञानियों ने तैयार की तकनीक। दाना उत्पादन तकनीकी और मछलियों को मिलने वाली पौष्टिकता पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा की मुहर लग चुकी है। दाना उत्पादन व्यवसाय से जुडऩे के लिए उद्यमी भी महाविद्यालय के संपर्क में हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 11:49 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 11:49 AM (IST)
मुजफ्फरपुर: लीची गुठली से तैयार मछली दाने पर कृषि विवि की मुहर
दाना उत्पादन व्यवसाय से जुडऩे के लिए उद्यमी भी महाविद्यालय के संपर्क में हैं।

मुजफ्फरपुर, अमरेंद्र तिवारी। ढोली स्थित मात्स्यिकी महाविद्यालय में लीची की गुठली से तैयार होनेवाले मछली दाने को अब उत्पादकों के बीच ले जाने की तैयारी चल रही है। दाना उत्पादन तकनीकी और मछलियों को मिलने वाली पौष्टिकता पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, पूसा की मुहर लग चुकी है। दाना उत्पादन व्यवसाय से जुडऩे के लिए उद्यमी भी महाविद्यालय के संपर्क में हैं।

इस तरह से मिली प्रेरणा

महाविद्यालय के विज्ञानी प्रो. (डॉ.) शिवेंद्र कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 में कृषि विवि के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव के सुझाव पर काम करने की प्रेरणा मिली। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी के तत्कालीन निदेशक डॉ. विशालनाथ का भी सहयोग मिला। डीन डॉ. एसी राय की सहमति के बाद शोध शुरू हुआ और परिणाम सकारात्मक रहा।

20 फीसद लीची गुठली व अवशेष का इस्तेमाल 

प्रो. शिवेंद्र ने बताया कि 2018 में पहली बार इसपर काम शुरू किया गया था। लीची की गुठली के साथ गेहूं, मक्का, सोयाबीन, सरसों की खल्ली, राइस ब्रान को दरदरा पीसकर अतिरिक्त मिनरल्स मिलाकर दाना तैयार किया गया। इसमें 20 फीसद लीची की गुठली और उसका अवशेष होता है, शेष 80 फीसद में अन्य अवयव होते हैं। महाविद्यालय की देखरेख में एक एकड़ तालाब में मछलियों पर दाने का प्रभाव देखा गया है। मछलियां स्वस्थ और विकसित हुई हैं। दाने से उन्हेंं प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम आदि तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

आठ जिले के किसान ले रहे प्रशिक्षण : ढोली में पूर्वी, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर व सीतामढ़ी के 30 किसान पांच दिवसीय प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अगले महीने से मछली दाने के निर्माण से जुड़ेंगे। अभी चिन्मय केडिया के पताही स्थित यूनिक फूड प्लांट से गुठली व लीची जूस से बचे अवशेष उपलब्ध कराया जा रहा है। शेखपुरा बेलछी में उद्यमी कुंदन कुमार ने व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया है। प्रति सप्ताह दो टन उत्पादन हो रहा है। प्रतिकिलो दाना तैयार करने में 34 से 35 रुपये खर्च आ रहे, जबकि बाजार में 38 रुपये किलो में बेच रहे हैं। बाजार में अन्य दानों का भाव 42 से 45 रुपये प्रति किलो के बीच है। दाने का उपयोग करनेवाले मोतिहारी के किसान सुरेंद्र सिंह व समस्तीपुर के पंकज ठाकुर कहते हैं कि मछली इस दाने को चाव से खाती हैं। किसान सतीश राय बताते हैं कि बाग में लीची बड़ी मात्रा में फट जाती हैं, बागों में गिर जाती हैं। वे बाजार में नहीं जा पातीं, उन्हेंं बेचकर भी किसान कमाई कर सकेंगे।  

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