मुजफ्फरपुर के अतिक्रमणकारी 'पी' जा रहे तलाब-पोखर, जिले में पेयजल संकट, आपके यहां का क्या हाल है?

तेजी से फैल रहे अतिक्रमणकारियों के पांव सिमट रहे पोखर तालाब व अन्य जलस्रोत। पांच एकड़ से अधिक रकबा वाले जिले में हैं 116 जलस्रोत अधिकतर अतिक्रमण के शिकार। इस वजह से गर्मी आते ही पेयजल संकट की स्थिति।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 09:19 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 09:24 AM (IST)
मुजफ्फरपुर के अतिक्रमणकारी 'पी' जा रहे तलाब-पोखर, जिले में पेयजल संकट, आपके यहां का क्या हाल है?
भूजल का सही से नहीं हो पा रहा भंडारण, हो रही परेशानी। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जासं। Unfortunately: शहर का सिकंदरपुर मन हो या महाराजी पोखर, औराई का कोकिलवारा पोखर हो या मोतीपुर का मानसरोवर अतिक्रमणकारी लगातार अपने पांव पसार रहे हैैं। इससे इन पोखरों का दायरा घटता जा रहा है। यह कहानी सिर्फ इन चार पोखरों की नहीं, बल्कि जिले के अधिकतर पोखर-तालाबों व अन्य जलस्रोतों की है जो वर्षा जल संचित कर जमीन के जल भंडार को बनाए रखने में मदद करते हैैं। 

जल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत पोखरों की बचाने की मुहिम चलाई जा रही है। इसके तहत जिले में पांच एकड़ से अधिक रकबा वाले 116 जलस्रोतों को चिह्नित किया गया। इनमें सकरा व कूढऩी में मुरौल, बोचहां व औराई में 18, मोतीपुर, सरैया, कांटी, पारू व साहेबगंज में 10, गायघाट में 17, कटरा में 26 तथा मीनापुर, बंदरा व मुशहरी में 29 बड़े जलस्रोत हैं। इनका सिर्फ विकास कर दिया जाए तो जल संरक्षण के क्षेत्र में उठाया गया महत्वपूर्ण कार्य हो जाएगा। ऐसा हो नहीं पा रहा है, क्योंकि अधिकतर के विकास में अतिक्रमण सबसे बड़ा रोड़ा है। दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के तहत जब पोखरों की पड़ताल की गई तो ये बातें सामने आईं।

शहर के पूर्वी भाग स्थित महाराजी पोखर पूरी तरह से अतिक्रमित हो चुका है। सरकार ने इसके विकास के लिए एक करोड़ रुपये आवंटित किए हैैं, लेकिन अतिक्रमण से विकास लंबित है। नगर निगम प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजा है, लेकिन वे व उनके संरक्षकों ने यह कहकर हटने से इन्कार कर दिया है कि पहले उनको अन्य स्थानों पर बसाया जाए। यही हाल सिकंदरपुर मन का है। इसका दायरा 101 एकड़ से अधिक है जो अतिक्रमण से सिमटकर 63 एकड़ रह गया है। इसे स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकसित किया जाना है, लेकिन अतिक्रमण बाधा बना है। वार्ड पार्षद राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि अतिक्रमण से शहर के कई पोखर-तालाब समाप्त होते जा रहे हैैं। उन्हें बचाने के लिए पुलिस के साथ नगर निगम को आगे आना होगा। अतिक्रमणकारियों से सख्ती से निपटना होगा तभी जलस्रोत बच पाएंगे और हमें भी जलसंकट से निपटने में आसानी होगी। अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि पोखर व तालाबों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। पोखर की जमीन पर कब्जा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।  

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