देश की आजादी के समय से ही सीतामढ़ी के सुरसंड में सजता आ रहा है मां का दरबार

वर्ष 1950 में महंत कमल दास जी के कहने पर बाबा गरीब नाथ परिसर में दुर्गा पूजा होने लगी। तब से अब तक यहां आस्था की बारिश होती आ रही है। व्यवस्था वही रही हैलेकिन साल दर साल पूजा की स्वरूप में बदलाव आता गया है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 12:31 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 12:31 PM (IST)
देश की आजादी के समय से ही सीतामढ़ी के सुरसंड में सजता आ रहा है मां का दरबार
दो सगे भाई राम-लक्ष्मण ने की थी दुर्गा पूजा के आयोजन की शुरुआत। फोटो- जागरण

सीतामढ़ी, जासं। राजा सूरसेन की नगरी भारत -नेपाल सीमा पर अवस्थित सुरसंड बाजार स्थित रकम बाज़ार में वर्ष 1947 से ही सजता आ रहा है माता रानी का दरबार। यहां दुर्गापूजा की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बलिया शहर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राम एवं लक्ष्मण नामक दो सगे भाईयो ने की थी दोनों भाइयों ने दोनों भाइयों ने बांस के बत्ती से जाफरी और चट्टी से बनी पंडाल में मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर पूजा की शुरुआत की ।दस दिनों तक पूरे भक्ति भाव से पूजा अर्चना हुई पूरे आयोजन पर दोनों भाइयों का कुल एक रुपया पचास पैसे खर्चा आया था। वर्ष 1950 में महंत कमल दास जी के कहने पर बाबा गरीब नाथ परिसर में दुर्गा पूजा होने लगी। तब से अब तक यहां आस्था की बारिश होती आ रही है। व्यवस्था वही रही है,लेकिन साल दर साल पूजा की स्वरूप में बदलाव आता गया है। इसका नाम दुर्गा पूजा समिति रखा गया है। वही मनोरंजन के लिए दुर्गा नाट्य परिषद रखा गया।

दुर्गा पूजा समिति अध्यक्ष महंत शोभा दास, उपाध्यक्ष मोहन चंद्र मेहता, सचिव सह पूर्व मुखिया सोभित राउत, उप सचिव डॉ.राजेश कुमार झा, कोषाध्यक्ष सह पूर्व मुखिया मनोज प्रसाद, पूजक कृष्ण कुमार सरवागी हैं। यहां की दुर्गा पूजा दोनों समुदाय के लोगों के एकता की मिसाल है। सरकार के कोरोना गाइड लाइन को देखते हुए दुर्गा पुजा सीमित ने 1996 से चले आ रहे है देवी के नौ रूपों की झांकी इस बार नहीं निकाली गई। हालांकि सप्तमी तिथि को सुहागिन महिलाओं द्वारा मंगल कलश शोभा यात्रा निकाली गई। इसके बावजूद श्रद्धालु पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ मां के दर्शन पूजन में शामिल हो रहे हैं। यहां सुरसंड प्रखंड समेत आसपास के प्रखंडों के अलावा नेपाल के सीमाई इलाके के विभिन्न गांवों से भी बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक भी मां दुर्गा के दर्शन पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। दो दिन पूर्व बॉर्डर खुल जाने से नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 

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