समस्तीपुर में मॉडल शौचालय में जड़ा है ताला, स्वच्छता की योजना अधर में

घर के समीप हीं बने अधिकांश शौचालय कबाड़-खाने में तबदील होते बरबस दिख हीं जाते हैं। इसकी उपयोगिता को शायद लोग समझ नहीं सके हैं। विभूतिपुर प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित माॅडल शौचालय का खस्ता हाल देख यह अनुमान लगाया जा सकता है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:41 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 08:41 AM (IST)
समस्तीपुर में मॉडल शौचालय में जड़ा है ताला, स्वच्छता की योजना अधर में
सामुदायिक शौचालयों का मेंटनेंस को लेकर सरकार की नीति अस्पष्ट। फोटो- जागरण

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। स्वच्छ भारत मिशन सह लोहिया स्वच्छ अभियान को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है। यह शायद इसलिए कि में लोगों को खुले में शौच करने के लिए नहीं जाना पड़े। खुले में शौच जाने से होने वाले तमाम तरह की बीमारी से बचाया जा सके। इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर प्रत्येक परिवार को शौचालय बनवाया गया। सार्वजनिक स्थानों पर भी शौचालय बनाए गए। इसके बाद ओडीएफ की घोषणा हुई। मगर अभी भी ग्रामीणों की मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। घर के समीप हीं बने अधिकांश शौचालय कबाड़-खाने में तबदील होते बरबस दिख हीं जाते हैं। इसकी उपयोगिता को शायद लोग समझ नहीं सके हैं। किसी अन्य जगहों की चर्चा किए बगैर विभूतिपुर प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित माॅडल शौचालय का खस्ता हाल देख यह अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वच्छता अभियान को लेकर जिम्मेदार कितने लापरवाह हैं।

ऐसा नहीं है कि लोग अपने घरों में बने शौचालय का नियमित उपयोग नहीं करते। कुछ लोग शौचालय बनवाकर प्रोत्साहन राशि का लाभ भी लिया मगर उसका उपयोग नहीं करते। कुछ लोगों की मानें तो क्षेत्र में बने कई सामुदायिक शौचालय भी दिखावा मात्र रह गया है। पूर्व में शौचालय निर्माण के बाद सरकार द्वारा दी गई प्रोत्साहन राशि का लाभ दिए जाने को लेकर अधिकारी भी सवालों के घेरे में रहे। बावजूद इसके पंचायतों को ओडीएफ तो किया गया मगर शौचालय के इस्तेमाल नहीं हो सकने पर किसी ने पहल करना मुनासिब नहीं समझा। हालांकि इसको लेकर सरकारी स्तर पर विभिन्न संचार माध्यमों से जागरूकता फैलाई गई।

शौचालय की उपयोगिता को लेकर करनी होगी पहल

भाजपा नेता कृष्णदेव प्रसाद सिंह, प्रखंड आत्मा सदस्य मनोज कुमार, समाजसेवी संजीत कुमार राम, सत्यम शिवम आदि का कहना है कि शौचालय की उपयोगिता को लेकर स्थानीय स्तर पर बुद्धिजीवियों को पहल करनी चाहिए। ताकि लोग खुले में शौच न करें। वहीं अधिकारियों द्वारा वैसे शौचालयों की जांच की जानी चाहिए जिसका उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे नियम बनाए जाने की आवश्यकता है कि जो परिवार शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं, उनसे प्रोत्साहन राशि वापस कराई जाएगी।

सामुदायिक शौचालय के रखरखाव की नहीं है व्यवस्था

सरकार के द्वारा पिछले डेढ साल में प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों सामुदायिक शौचालय का भी निर्माण कराया गया है। कई जगहों पर यह बनकर तैयार हो गया है। जबकि कई स्थानों पर बनाया जाना है। हालांकि सामुदायिक शौचालय के रखरखाव को लेकर अब तक कोई व्यवस्था नही की गई है। शौचालय का निर्माण करा देने से महज दस से बीस दिन में ही वह अनुपयोगी हो जा रहा है। उसका सही तरीके से नियमित रूप से मेंटनेंस नहीं हो पाता है। हालांकि अब इन सामुदायिक शौचालयों को संबंधित पंचायतों को हैंडओवर करने की तैयारी है। इसका रखरखाव के लिए भी पंचायतों को फंड उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद संभव है कि सामुदायिक शौचालय की उपयोगिता सिद्ध होगी।

जिले में 900 सामुदायिक शौचालय बनाने का लक्ष्य, बने 509

जिला स्वच्छता समन्वयक दयानंद ने बताया कि जिले में 900 सामुदायिक शौचालय निर्माण करने का लक्ष्य है। अभी तक 509 सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जा चुका है। जबकि शेष पर कार्य चल रहा है। सरकार ने इन सामुदायिक शौचालयों को पंचायत को हैंडओवर करने का निर्देश देते हुए उसका मेंटनेंस का जिम्मा भी पंचायत को ही सौंपा है।

लाभुकों के बैंक खाते में भेजी गई प्रोत्साहन राशि

विभूतिपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी धीरज कुमार कहते है कि केन्द्र व राज्य सरकार स्वच्छता को लेकर काफी गंभीर रही है। इसी मंशा के साथ स्वच्छ भारत मिशन सह लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान पर जोर दिया गया। लाभुकों के बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि भेजी गई है। शौचालय उपयोग को लेकर लोगों को खुद जागरूक होना पड़ेगा। तभी सरकार की योजनाएं धरातल पर उतर सकेंगी। 

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