एमआइएस-सी की पहली मरीज मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में हुई स्वस्थ

शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि मिथनापुर मीनापुर की शुभम कुमारी को 17 जून को भर्ती कराया गया था। स्वस्थ होने के बाद डेढ़ माह की दवा देकर उसे छुट्टी दे दी गई है। हर 15 दिन पर उसकी जांच की जाएगी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 01 Jul 2021 11:47 AM (IST) Updated:Thu, 01 Jul 2021 11:47 AM (IST)
एमआइएस-सी की पहली मरीज मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में हुई स्वस्थ
डेढ़ माह की दवा देकर अस्पताल से मिली छुट्टी। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, जासं। जिले की पहली मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी) की मरीज एसकेएमसीएच में स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज होकर घर चली गई। स्वजन ने उसे गंभीर हालत में यहां भर्ती कराया था। यहां के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि मिथनापुर मीनापुर की शुभम कुमारी को 17 जून को भर्ती कराया गया था। स्वस्थ होने के बाद डेढ़ माह की दवा देकर उसे छुट्टी दे दी गई है। हर 15 दिन पर उसकी जांच की जाएगी। जिले में वह एमआइएस-सी की पहली मरीज है। उसके शरीर में सूजन के साथ बुखार था। सांस भी तेज चल रही थी। स्वजन पहले उसे एक निजी अस्पताल लेकर गए थे। वहां सर्जन ने पेट फूलने की हालत देखकर अंतरी फंसी होना समझकर इलाज कर रहे थे। फायदा नहीं होता देख उसका अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला कि पेट व हृदय में पानी है। इस पर उसे एसकेएमसीएच भेजा। यहां उसे एमआइएस-सी का संदिग्ध मानकर इलाज शुरू हुआ। डीडायमर, सीआरपी, थेरेफटीन जांच के बाद उसके एमआइएस-सी का मरीज होने की पुष्टि हुई। 13 दिनों तक लगातार इलाज किया गया। डा.सहनी ने बताया कि अब तक यहां एमआइएस-सी के दो मरीज आए। इनमें एक बीच में ही इलाज छोड़कर चला गया। वहीं दूसरा स्वस्थ हो गया है।  

कोरोना की कम हुई रफ्तार अब मातृ-शिशु सदन में होगा प्रसूता का इलाज

जासं, मुजफ्फरपुर : कोरोना की रफ्तार कम होने के साथ अब सदर अस्पताल के आउटडोर सेवा के साथ इंडोर मरीज को बेहतर सुविधा देने की पहल जारी है। करीब तीन माह बाद सदर अस्पताल परिसर में कोरोना इलाज के लिए चिह्नित मातृ-शिशु सदन में अब प्रसूता का इलाज होगा। इसके लिए तैयारी चल रही है। सिविल सर्जन डा.एसके चौधरी ने कहा कि एमसीएच भवन में अब महिलााओं का इलाज होगा। ऊपर का तल कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रहेगा। नीचे महिलाओं का इलाज शुरू होगा। अस्पताल प्रबंधक को इसके लिए तैयारी करने को कहा गया है। एक सप्ताह के अंदर उसकी तैयारी शुरू कर दी जाएगी। इससे सदर अस्पताल में अब प्रसूताओं एवं बच्चों का बेहतर इलाज होगा। मातृ शिशु अस्पताल का निर्माण बिहार मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) द्वारा किया गया है।

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