East Champaran: सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद होने से मेधावी छात्र मायूस, नजर अब ग्रेडिंग पर
इधर परीक्षा रद होने से पूर्वी चंपारण में भी खासकर वैसे छात्रों में मायूसी देखी जा रही है जिन्होंने कोरोना संकट के बीच भी घर पर रह कर जतन से तैयारी की थी। कुछ ऐसे छात्र भी हैं जो सरकार के इस निर्णय की प्रशंसा कर रहे हैं।
पूर्वी चंपारण, जासं। देश में जारी कोरोना संकट के बीच दसवीं के बाद अब सीबीएसई की 12वीं बोर्ड परीक्षा भी रद कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 12वीं की बोर्ड परीक्षा को रद करने का फैसला लिया गया। इधर परीक्षा रद होने से पूर्वी चंपारण में भी खासकर वैसे छात्रों में मायूसी देखी जा रही है जिन्होंने कोरोना संकट के बीच भी घर पर रह कर जतन से तैयारी की थी।
वहीं शिक्षाविद भी परीक्षा रद होने पर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ ऐसे छात्र भी हैं जो सरकार के इस निर्णय की प्रशंसा कर रहे हैं। उनका कहना है कि लॉकडॉउन की वजह से पिछले कई महीनों से उनकी पढ़ाई बाधित है। ऐसे में उनकी परीक्षा लेना कहीं से भी उचित नहीं था। जब पढ़ाई ही नहीं हुई तो ऐसे में परीक्षा का क्या महत्व रह जाता। वहीं दूसरी ओर सीएम मेमोरियल स्कूल की प्राचार्य इवलिन प्रकाश का कहना था कि परीक्षा रद होने से वैसे बच्चे जिन्होंने बेहतर तैयारी की थी वे मायूस हुए हैं। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए होम सेंटर पर परीक्षा लिया जाना चाहिए था।
कहते हैं छात्र
राजेश कुमार : कोरोना महामारी ने हर चीज को उथल पुथल कर दिया है। परीक्षा जरूरी थी। हम छात्रों ने परीक्षा की तैयारी की थी और परीक्षा रद होने से परेशान हैं। मगर यह भी सत्य है कि पूरे साल शिक्षण संस्थान बंद रहने से कई छात्रों की विधिवत पढ़ाई नहीं हो पाई है। ऐसे में उनके लिए परीक्षा देना काफी चुनौतीपूर्ण विषय होता।
छात्र भावेश वर्मा : कोरोना महामारी के कारण पिछले साल से ही पढ़ाई बाधित है। बावजूद इसके घर पर रहकर ही पूरी तैयारी की थी। लग रहा था कि परीक्षा होकर रहेगी। इसलिए अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं थी। अब परीक्षा रद होने से पूरी मेहनत बेकार चली गई है।
सरकार को समय पर पढ़ाई और परीक्षा दोनों पर ध्यान देना चाहिए
कहते हैं शिक्षक
मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्राचार्य डॉ. दिव्या वर्मा का कहना है कि परीक्षा रद्द होने से छात्र सदमे में हैं। सरकार को कोई और रास्ता निकलना चाहिए था। खासकर मेरिट वाले बच्चों में उदासी छा गई है। मगर, कोरोना काल होने के कारण सरकार को मजबूरी में यह निर्णय लेना पड़ा है। बेहतर सेहत में ही पढ़ाई और परीक्षा संभव है।
सीएमजी पब्लिक स्कूल की निदेशक व सुप्रसिद्ध महिला चिकित्सक डॉ. चन्द्रलता झा ने कहा कि कोरोना महामारी का प्रकोप फिलहाल चरम पर है। ऐसे में परीक्षा होने पर छात्रों को संक्रमण का शिकार होना पड़ सकता था। हालांकि अब आगे नीति निर्धारकों को ग्रेङ्क्षडग करने में ख्याल रखना होगा कि मेधावी बच्चों को इसका नुकसान न हो, क्योंकि बच्चों ने स्कूल बंद होने के बाद आनलाइन और अन्य माध्यमों से पूरी तन्मयता व लगन के साथ परीक्षा की तैयारी की थी।