आज महापौर बैठक नहीं बुलाते तो सोमवार को तिथि तय करेंगे पार्षद

महापौर सुरेश कुमार अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए रविवार को बैठक नहीं बुलाते तो गेंद उनके हाथ से निकल जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 01:30 AM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 01:30 AM (IST)
आज महापौर बैठक नहीं बुलाते तो सोमवार को तिथि तय करेंगे पार्षद
आज महापौर बैठक नहीं बुलाते तो सोमवार को तिथि तय करेंगे पार्षद

मुजफ्फरपुर : महापौर सुरेश कुमार अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए रविवार को बैठक नहीं बुलाते तो गेंद उनके हाथ से निकल जाएगी। उसके बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पार्षदों को बैठक बुलाने का अधिकार मिल जाएगा। वार्ड 28 के पार्षद राजीव कुमार पंकू ने कहा कि यदि रविवार को महापौर बैठक नहीं बुलाते तो वे सोमवार को बैठक की तिथि तय कर नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय को पत्र सौंप देंगे। 18 पार्षदों ने 12 जुलाई को महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पत्र सौंपा था। बिहार नगरपालिका अधिनियम के अनुसार पत्र सौंपे जाने के एक सप्ताह के अंदर महापौर को बैठक बुलाना होता है। यदि वे तय समय में बैठक नहीं बुलाते हैं तो यह अधिकार अविश्वास प्रस्ताव लाने के वाले पार्षदों को मिल जाता जाता। रविवार को एक सप्ताह का समय पूरा हो जाएगा।

उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला के खिलाफ अविश्वास पर चर्चा के लिए 23 जुलाई को होने वाली बैठक को लेकर नगर आयुक्त ने पार्षदों को पत्र जारी कर दिया है। बैठक नगर निगम आडिटोरियम में होगी।

वहीं अविश्वास प्रस्ताव को लेकर महापौर समर्थक एवं विरोधी खेमे ने पार्षदों को अपन पक्ष में करने का अभियान तेज कर दिया है। उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला एवं महापौर पद के उम्मीदवार वार्ड तीन के पार्षद राकेश कुमार पूरे दिन पार्षदों से मिलकर उनको गोलबंद करने की कोशिश में लगे रहे। महापौर खेमा ने भी कई पार्षदों के घरों पर दस्तक देकर उनको अपने पक्ष में करने का अभियान चलाया। इन दिनों बीच सशक्त स्थायी समिति सदस्य एवं वार्ड 46 के पार्षद नंद कुमार प्रसाद साह ने भी अपना अभियान तेज कर दिया है। पार्षदों को अपने पक्ष में करने के लिए वह उनको मनाने में लगे रहे। महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद वे अपनी दावेदारी को लेकर सक्रिय हैं।

अविश्वास प्रस्ताव को लेकर शहर के राजनीति के बड़े खिलाड़ी भले की खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं लेकिन पर्दे के पीछे वे सक्रिय हैं। अपना राजनीतिक हित को साधने के लिए चाल चल रहे है। समर्थक पार्षदों के माध्यम से अपनी चाल को सफल बनाने में लगे हैं। पार्षदों का तीसरा मोर्चा अभी मौन है। वह राजनीतिक समीकरण का आकलन कर रहा है और समय पर अपने पत्ते खोलेगा।

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