मैथिली गीत-संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहीं मीनू, इस तरह हासिल किया यह मुकाम
मीनू झा इन दिनों लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से मैथिली गीत-संगीत का कर रही प्रचार-प्रसार। मैथिली लोकगीत मिथिला संस्कार गीत सोहर समदाउन मऊहक विवाह परिछन मुंडन उपनयन पराती आदि गीत की देश-दुनिया में धूम मचा रही मीनू झा।
मधुबनी, जेएनएन। मैथिली पारंपरिक गीत, मैथिली लोकगीत, मिथिला संस्कार गीत, सोहर, समदाउन, मऊहक विवाह, परिछन, मुंडन, उपनयन, पराती आदि गीत की देश-दुनिया में धूम मचा रही मीनू झा। जिले के मधेपुर प्रखंड के तरडीहा गांव निवासी मनोज मदन झा की करीब 42 वर्षीया पत्नी मीनू झा मैथिली गीत-संगीत में तहलका मचा रही है। दुनिया भर में रह रहे मैथिली भाषी के बीच मीनू का गीत काफी पसंद किए जा रहे हैं।
आत्मनिर्भर होना जरूरी
मीनू झा कहती हैं कि मैथिली गीत-संगीत के प्रचार प्रसार के काफी आत्म संतुष्टि मिलती है। मैथिली गीत-संगीत का भविष्य काफी उज्जवल है। समय के समय के बदलते परिवेश में इस क्षेत्र में मिथिला के गायकों को आगे बढऩा चाहिए। इसके लिए संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए। मैथिली गीत-संगीत के प्रचार से निश्चित रूप से इसके गायक-गायिकाओं को आर्थिक आमदनी का मार्ग प्रशस्त होगा। भाषा का विकास जरूरी है।
कलाकारों को मिले उचित मंच
मातृभाषा की सेवा के दिशा में मैथिली गायक गायिकाओं को आगे आने से ही मैथिली गीत-संगीत की दुनिया को बेहतर ढंग से सजाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बचपन से ही मैथिली गीत-संगीत के प्रति लगाव रहा है। यही कारण है कि मैथिली में होने वाले कहीं भी गीत-संगीत के कार्यक्रम में जरूर हिस्सा लेती हूं। मैथिली गीत-संगीत के बदौलत मिथिलांचल की स्थिति सुधारी जा सकती है। मिथिला में कलाकारों की कमी नहीं है। बस जरूरत है उन्हें निखारने के लिए उपयुक्त मंच मुहैया कराने की।