एमसीआइ ने जताई हैरानी, आखिर क्यों शुरू नहीं हुई पीजी की पढ़ाई
एसकेएमसीएच के सर्जरी विभाग में पीजी की मान्यता के लिए एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की टीम ने सोमवार को निरीक्षण किया।
मुजफ्फरपुर। एसकेएमसीएच के सर्जरी विभाग में पीजी की मान्यता के लिए एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की टीम ने सोमवार को निरीक्षण किया। इस दौरान टीम के सदस्य ने हैरानी जताई कि आखिर अब तक यहां पीजी की पढ़ाई क्यों शुरू नहीं हुई? यहां कितने मरीज आते हैं, कितने का शल्य कार्य होता है जैसे कई सवाल पूछे। कक्ष में स्लाइन लटकाने को स्टैंड की जगह दोनों ओर लंबा तार लटका देख कहा यह हमें बहुत अच्छा लगा। स्टैंड को बार-बार इधर-उधर करने की जगह यह स्थाई व्यवस्था की गई है। यहां समय-समय पर रंग-रोगन कराने की जरूरत बताई। मात्र एक सदस्य सर्जरी विभाग में पीजी पढ़ाई के लिए गए 14 सीटों की मांग पर यहां संसाधन देखने आए थे।
बेड व मरीजों की जानकारी पूछने पर कक्ष परिचारिका हुई भौचक : कक्ष संख्या-14 में तैनात नर्स से टीम के सदस्य ने बेड व मरीजों की संख्या पूछी तो वह भौचक हो गईं। आइसीयू मेंएडमिशन रजिस्टर व अन्य जानकारी पूछने पर तैनात नर्स घबरा गर्इं। इसके बाद डॉ. एनपी सिन्हा ने स्वयं इसकी जानकारी दी। टीम के डॉ. एमपी लुका ने सभी जगह निरीक्षण के दौरान मरीजों की संख्या से लेकर मशीन व उपकरण तक की जानकारी ली। इन सभी को वीडियोग्राफी व कैमरा में कैद कर अपने साथ ले गए।
अरे अरे नो एलाऊ ..
एमसीआइ के शल्य कक्ष में निरीक्षण के दौरान बगैर ड्रेस चेंज किए व चप्पल बदले ओटी में एक चिकित्सक के प्रवेश के दौरान तैनात वहां चिकित्सक अचानक बोले अरे-अरे नो एलाऊ..। इसके बाद उक्त चिकित्सक ने ड्रेस व चप्पल बदल कर शल्य कक्ष में प्रवेश किया।
जिसका था इंतजार आज हुआ खत्म : निरीक्षण के दौरान सदस्य के समक्ष कई चिकित्सक बोले कि सर, आपका इंतजार दो माह से चल रहा था। इसको लेकर सभी की छुट्टी तक प्राचार्य ने रद कर दी थी।
इन विभागों का लिया जायजा
एमसीआइ के रायगढ़ से पहुंचे डॉ. एमपी लुका अस्पताल में सबसे पहले अधीक्षक प्रकोष्ठ में गए। वहां से इमरजेंसी, सीओटी, ब्लड बैंक, क्लीनिकल पैथोलॉजी, सामान्य वार्ड, शल्य कक्ष के विभिन्न विभागों, आइसीयू, सेमिनार कक्ष, म्यूजियम, सीसीयू, ओपीडी होते हुए रेडियोलॉजी विभाग के सामान्य व डिजिटल एक्सरे कक्ष, सीटी स्कैन के साथ निर्माणाधीन एमआरई भवन व मशीनों के देखा। इन सभी जगहों पर अद्यतन जानकारी लेने के साथ व्यवस्था को बारीकी से देखा। इसके बाद कॉलेज में पहुंचकर छात्र-छात्राओं के छात्रावास, चिकित्सक व टयूटर आवास के साथ निर्माणाधीन भवनों को भी देखा। माइक्रो बायोलॉजी एवं पैथोलॉजी विभाग का म्यूजियम, दो लैब, सेमिनार रूम, चिकित्सकों के चैंबर को भी देखा। इसके बाद पुस्तकालय से लेकर वायारोलॉजिकल लैब व अन्य विभागों का निरीक्षण किया। इस दौरान वहां उपलब्ध संसाधनों को देखा। इसके बाद पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार से मशीन व उपकरणों के साथ कई विभागीय जानकारी ली। विभागाध्यक्ष ने उन्हें अधिकतम अत्याधुनिक मशीनें व उपकरण उपलब्ध होने की जानकारी दी। इसके बाद प्राचार्य कक्ष में बैठकर विभाग के चिकित्सकों का भौतिक सत्यापन करते हुए कागजात की जांच की। इस दौरान सभी पर संतोष जताया। इससे सर्जरी विभाग में पीजी की पढ़ाई के लिए सीटें स्वीकृत होने की उम्मीदें बढ़ गई है। आइसीयू में नर्सिग स्टॉफ पहली बार ड्रेस में दिखीं। जबकि कुछ चिकित्सकों ने एप्रन में रहना मुनासिब नहीं समझा।
निरीक्षण के दौरान ये रहे साथ
टीम के सदस्य के साथ निरीक्षण के दौरान सर्जरी विभाग के डॉ. एचएन भारद्वाज, डॉ. भारतेंदु कुमार, डॉ.सुनील कुमार, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. एनपी सिन्हा, डॉ. श्रीरमण, डॉ. राघवेंद्र प्रसाद, डॉ. अमलेंदु कुमार, डॉ. सुधांशु कुमार आदि चिकित्सक मौजूद रहे।
नए नियमों के तहत बढ़ेंगी पीजी की 44 सीटें :
एमसीआइ के नए नियमों के तहत एसकेएमसीएच के कई नए विभाग में पीजी की पढ़ाई की स्वीकृति की कवायद जारी है। इसमें माइक्रो बायोलॉजी, रेडियोलॉजी विभाग में दो-दो एवं सर्जरी व प्रसव विभाग में 14-14 सीटों की मांग की गई है। इसके साथ ही पूर्व से चल रहे छह विभागों में पीजी की सीटें बढ़ाने की कवायद जारी है। इसमें माइक्रो बायोलॉजी विभाग का निरीक्षण एमसीआइ की टीम 12 दिन पूर्व कर चुकी है।