समस्तीपुर में मलेरिया रोकथाम को स्‍वास्‍थ्‍य व‍िभाग का मास्टर प्लान, अब किट से जांच करेंगी आशा

Samastipur News स्वास्थ्य विभाग मलेरिया पर नियंत्रण के लिए आशा को सक्रिय कर रहा। वे किट व स्लाइड से मरीजों की जांच करेंगी। पुष्टि होने पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में इलाज कराएंगी। मरीजों को घर-घर जाकर दवा खिलाने की मिली जिम्मेदारी।

By Murari KumarEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 04:24 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 04:24 PM (IST)
समस्तीपुर में मलेरिया रोकथाम को स्‍वास्‍थ्‍य व‍िभाग का मास्टर प्लान, अब किट से जांच करेंगी आशा
आशा को किट से जांच करने का प्रशिक्षण देते प्रशिक्षक।

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य विभाग मलेरिया पर नियंत्रण के लिए आशा को सक्रिय कर रहा। वे किट व स्लाइड से मरीजों की जांच करेंगी। पुष्टि होने पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में इलाज कराएंगी। मरीजों के घर जाकर दवा खिलाने की जिम्मेदारी भी उनकी रहेगी। इतना ही नहीं, बुखार के मरीज की जांच खुद आरडीटी (रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट) किट से करेंगी। स्वास्थ्य महकमे ने मलेरिया उन्मूलन के लिए आशा को मेहनताना देने की भी घोषणा की है। किसी भी मरीज की जांच करने पर उन्हें 15 रुपये दिए जाएंगे। दवा का पूरा कोर्स करवाती हैं तो उसके लिए 75 रुपये और दिए जाएंगे। कुल मिलाकर आशा को 90 रुपये विभाग देगा।

डीडीटी छिड़काव के लिए आशा को मिली अहम जिम्मेदारी

मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में मच्छरों पर नियंत्रण के लिए डीडीटी का छिड़काव कराया जाता है। छिड़काव कर्मियों के आने पर उनको पूर्ण सहयोग, पूरे घर में छिड़काव कराने व तिथि की जानकारी ग्रामीणों को दी जाएगी। आशा अपने गांव में होनेवाले छिड़काव की तिथि की जानकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त करेंगी। छिड़काव के दो दिन पहले घर-घर डीडीटी छिड़काव की तिथि की जानकारी और निर्देश देंगी।

इतने दिन खानी पड़ती दवा

मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से होता है। प्लाजमोडियम फैल्सीपेरम काफी खतरनाक है। इसके उपचार के लिए एसीटी, एसपी कॉम्बीपैक मरीज को दिया जाता है। तीन दिन के इस पैक में आर्टिसुनेट तीन दिन तक और सल्फाडाक्सीन पाइरीमेथामीन पहले दिन व प्राइमाक्वीन की एक खुराक दूसरे दिन देते हैं। उम्र व वजन के अनुसार प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम का उपचार अलग है। प्लाज्मोडियम वाइवेक्स के लिए 14 दिन दवा खानी होती है। अक्सर मरीज चार-पांच दिन में ही बीमारी के लक्षण खत्म होने पर दवा खाना छोड़ देते हैं, लेकिन उनके शरीर में मलेरिया का पैरासाइड बना रहता है।

मलेरिया से बचाव की सलाह

मलेरिया से बचाव के लिए पूरे बदन को ढंकने वाला कपड़ा पहनने, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करने, घर के आसपास बने जलजमाव वाले जगहों को मिट्टी से पाट देने, जल जमे स्थानों पर पानी में मिट्टी का तेल या डीजल डालने, घर के आसपास बहने वाली नाली बराबर साफ-सफाई करें, ताकि पानी बहाव निरंतर हो सके।

साफ पानी से शुरू होती मलेरिया

मलेरिया फैलाने वाला मच्छर किसी भी स्थान पर ठहरे हुए साफ पानी एवं धीमी गति से नालियों में बहने वाले पानी में अंडे देती है तथा पनपती है। मलेरिया बुखार किसी भी व्यक्ति, महिला या बच्चा को हो सकता है तथा यह किसी भी उम्र में हो सकता है। मलेरिया बुखार होने की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर खून की जांच करानी चाहिए। मलेरिया रोग निकलने पर चिकित्सक की सलाह से दवा की पूरी खुराक लेने की सलाह देनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में यह निशुल्क उपलब्ध है। 

 इस बारे में समस्‍तीपुर के ज‍िला मलेर‍िया पदाध‍िकारी डॉ. व‍िजय कुमार ने कहा क‍ि मलेरिया पर नियंत्रण के लिए आशा को भी लगाया गया है। वह घर-घर जाकर बुखार के मरीजों की किट से जांच करेंगी और डॉक्टर को बताकर उनका इलाज शुरू करवाएंगी। फिर मरीजों की दवा का कोर्स भी पूरा करवाएंगी। इसके लिए उन्हें राशि भी मिलेगी।

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