सिक्का को लेकर तकरार, बैंक से लेकर बाजार तक सब परेशान

नोटबंदी के बाद आरबीआइ से मिले सिक्के बैंक व जनता के लिए बना सिर दर्द। हर कोई लेने से कर रहा इन्कार। हर दिन हो रहा नोकझोंक। दुकानदारों के पास डंप पड़े हजारों-लाखों के सिक्के।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 08:15 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 08:15 AM (IST)
सिक्का को लेकर तकरार, बैंक से लेकर बाजार तक सब परेशान
सिक्का को लेकर तकरार, बैंक से लेकर बाजार तक सब परेशान

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। नोटबंदी से पहले जिस सिक्के के लिए तरसते रहते थे, अब उसकी वजह से मारामारी की नौबत है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जिले को अप्रत्याशित संख्या में दिए गए सिक्के बैंक, दुकानदार एवं आम लोगों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। हर जगह इसको लेकर विवाद हो रहा है। अधिकतर लोग इसे लेने से इन्कार कर रहे हैं। बैंक भी इसे लेना नहीं चाह रही। वहीं बैंक द्वारा ग्राहकों को देने पर बकझक आम बात है। पेट्रोल पंपों से लेकर दुकानदार तक इसे लेने से मना कर रहे हैं।

   कई दुकानदारों के पास से हजारों-लाखों के सिक्के डंप पड़े हैं। कई ने तो एक निश्चित संख्या भी तय कर दी है। इनका तर्क है कि बैंक सिक्का लेने से आनाकानी करता है, ऐसे में हमारे लिए तो ये परेशानी सबब बन बन रहा है। एलडीएम डॉ. एनके सिंह ने कहा कि आरबीआइ के निर्देशानुसार सिक्का लेने के लिए बैंकों को निर्देश दिए गए है। मगर ग्राहकों को भी सिक्का लेने में मनाही नहीं करनी चाहिए।

छोटे व्यापारी सिक्के को मान रहे आफत

छोटे दुकानदार सिक्के को बड़ा आफत मान रहे हैं। चाय-नाश्ता, फल-सब्जी समेत अनेक दुकानदारों का कहना है कि हमारे यहां तो ग्राहक इसे जबरदस्ती दे देते है, मगर हमसे बड़े कारोबारी नहीं लेते हैं। ऐसे में काफी परेशानी होती है। अघोरिया बाजार में चाय के दुकानदार मनोज बैठा कहते हैं कि अधिकतर ग्राहक सिक्का देते हैं। यह बहुत बड़ी मुसीबत बन गई है। हमसे दुकानदार लेते ही नहीं। जवाहरलाल रोड के सब्जी विक्रेता उगन साह ने कहा कि सिक्के की वजह से आए दिन ग्राहकों से बकझक होती है। हमसे कोई लेता ही नहीं तो हम लेकर क्या करेंगे। नार्थ बिहार चैम्बर ऑफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष पुरुषोत्तम पोददार कहते हैं कि सिक्का से परेशानी हो रही है। मालीघाट निवासी सुधीर ठाकुर ने कहा कि इस संबंध में जिलाधिकारी को भी आवेदन दिया गया था, मगर कोई फायदा नहीं हुआ।

आरबीआइ की सख्ती भी दूर नहीं कर सकी समस्या

रिजर्व बैंक ने सिक्का नहीं लेने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के दिशा-निर्देश जारी किए थे। कहा था कि सिक्का नहीं लेने पर भारतीय करेंसी के अपमान का केस दर्ज कर जेल भेजा जाएगा। बैंकों को भी निर्देश दिए गए कि अगर कोई खाताधारक इन सिक्कों को लेकर आता है, तो वे उसे लेने से मना नहीं करेंगे। इसके बाद भी समस्या जस की तस है। बैंक एवं जनता दोनों को इसे मानने में व्यवहारिक परेशानी है।

पूंजी फंसने से दुकानदार परेशान, बैंकों में भी रखने की नहीं जगह

सिक्का से कई दुकानदारों की पूंजी फंस रही है। इसका असर उनके व्यापार पर पड़ रहा है। दुकानदार प्रेम कुमार ने बताया कि उनके पास रोज सौ से अधिक सिक्के आते हैं। लेकिन कोई लेना नहीं चाहता। रितेश कुमार ने कहा कि एक एवं दो रुपए के सिक्के तो कोई लेना ही नहीं चाहता। बैंकों में भी जमा करने में आनाकानी होती है। हमारी पूंजी फंस रही है। लेकिन इसपर किसी का ध्यान नहीं है। इधर इसकी काफी संख्या होने से बैंकों के करेंसी चेस्ट को भी काफी परेशानी हो रही है। कुछ बैंकों ने तो इसे स्पष्ट लेने से इनकार कर दिया है। कुछ तकरार के बाद इसे निश्चित संख्या तक ले रहे हैं।

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