चोरी के वाहनों के फर्जी कागजात बनाने में डीटीओ के कई कर्मी जांच के घेरे में

चोरी के वाहनों के फर्जी कागजात बनाने के मामले में जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) के कई कर्मी जांच के घेरे में आ गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 01:41 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 01:41 AM (IST)
चोरी के वाहनों के फर्जी कागजात बनाने  में डीटीओ के कई कर्मी जांच के घेरे में
चोरी के वाहनों के फर्जी कागजात बनाने में डीटीओ के कई कर्मी जांच के घेरे में

मुजफ्फरपुर : चोरी के वाहनों के फर्जी कागजात बनाने के मामले में जिला परिवहन कार्यालय (डीटीओ) के कई कर्मी जांच के घेरे में आ गए हैं। सोमवार को नगर डीएसपी रामनरेश पासवान ने डीटीओ पहुंचकर जांच की। उनके साथ नगर थाने में दर्ज केस के अनुसंधानक दारोगा ओमप्रकाश भी थे। करीब दो घंटे तक नगर डीएसपी ने वहां रजिस्टरों की जांच की। इस दौरान जिला परिवहन पदाधिकारी, एमवीआइ व अन्य कर्मियों से पूछताछ कर उनका बयान भी दर्ज किया गया। पुलिस अधिकारियों के पहुंचने से दफ्तर में हड़कंप मचा रहा।

बता दें कि सीतामढ़ी धरहरवा के सुजीत कुमार के बोलेरो के नंबर पर चोरी की दूसरी बोलेरो कानिबंधन कर दिया गया था। इससे संबंधित केस नगर थाने में गत साल दिसंबर में दर्ज कराई गई थी। इसी मामले की जांच के लिए पुलिस पदाधिकारी डीटीओ कार्यालय पहुंचे थे। इस दौरान रजिस्टर की सत्यापित कॉपी भी पुलिस ले गई। डीएसपी ने पूछा-कैसे बन गए कागजात : जांच के क्रम में डीएसपी नगर ने डीटीओ रजनीश लाल और एमवीआइ रंजीत कुमार से कई बिंदुओं पर सवाल किए। पूछा कि आखिर चोरी की बोलेरो के कागजात इस कार्यालय से कैसे बन गए। इस सवाल के जवाब में पदाधिकारी उलझ गए। हालांकि डीटीओ ने उक्त वाहन से संबंधित फाइल मंगवाकर देखने के बाद डीएसपी को जानकारी दी कि तत्कालीन डीटीओ नजीर अहमद के कार्यकाल में सारा काम हुआ है। पुलिस की जांच में पता चला कि बिचौलिए ने बोलेरो के कागजात खो जाने की बात बताकर दूसरे कागजात निकाले। बिचौलिए व कर्मियों ने किया सारा खेल : इस खेल में बिचौलिए के साथ कई कर्मियों की संलिप्तता सामने आई है। इस दिशा में साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। बताया गया कि 29 जून 2017 को डुप्लीकेट स्मार्टकार्ड इसी दफ्तर से जारी हुआ है। इसके बाद चोरी की बोलेरो के कागजात बनाकर पूर्वी चंपारण लौकरिया के राजीव कुमार की पत्नी सुधा देवी के नाम से बेच दिया गया, लेकिन जब पहले वाला ऑनर इंश्योरेंस की रकम जमा करने के लिए गया तो वहां ऑनलाइन दूसरे का नाम दिखाया गया। इसके बाद उसके होश उड़ गए। उसने डीटीओ के यहां इसकी शिकायत की। जांच में पता चला कि चोरी के वाहन पर फर्जी कागजात बना लिया गया है। तब नगर थाने में इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई। जबकि नियम है कि डुप्लीकेट ऑनर बुक के लिए सनहा की कॉपी ली जाती है, जिसकी खोज कराई गई तो दफ्तर में नहीं मिली।

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