मुजफ्फरपुर जिले में कुपोषण अभी तक कायम, इसको हराने की जंग जारी
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए केंद्रों पर पोषाहार देने का प्रावधान है। बेहतर स्वास्थ्य को लेकर हर दिन का अलग-अलग मेन्यू तैयार किया गया है। इस पर लाखों रुपये खर्च भी हो रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, जासं। जिले में कुपोषण अभी 'जिंदाÓ है। इसे खत्म करने के लिए सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही है। समाज कल्याण विभाग के आइसीडीएस द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुपोषण से बचाव को जद्दोजहद जारी है। पोषाहार, टेक होम राशन व अन्य योजनाओं से इसे खत्म किया जा रहा है। विभाग लोगों को जागरूक भी कर रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। कुपोषण की संख्या में कमी आई है, लेकिन जिला अभी इससे मुक्त नहीं हुआ है।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए केंद्रों पर पोषाहार देने का प्रावधान है। बेहतर स्वास्थ्य को लेकर हर दिन का अलग-अलग मेन्यू तैयार किया गया है। इस पर लाखों रुपये खर्च भी हो रहे हैं। गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के नाम पर भी काफी धन खर्च हो रहा है। इधर, आरोप ये भी है कि अधिकतर लोगों को सरकार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। राष्ट्रीय पोषण मिशन की जिला समन्वयक सुषमा सुमन कहती हैं कि कुपोषण खत्म करने के लिए सबसे अहम जागरूकता है। सरकार विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक कर रही है। अभियान के तहत महिलाओं को पौष्टिक आहार की जानकारी दी जा रही है। पौष्टिक आहार का वितरण कर उसके गुण बताए जा रहे हैं। लोग इसको लेकर जागरूक भी हो रहे हैं और सुखद परिणाम आ रहे हैैं।
जिले में 12 हजार से अधिक अतिकुपोषित
जिले के विभिन्न प्रखंडों में करीब 12 हजार 187 अतिकुपोषित हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा इन्हें चिह्नित कर कुपोषण से बचाव के लिए जद्दोजहद की जा ही है।
प्रखंड --- अतिकुपोषित
कटरा --- 539
औराई --617
बंदरा ---300
कांटी ---305
साहेबगंज --544
मोतीपुर -- 1968
कुढऩी ---972
गायघाट --550
बोचहां ---558
सरैया ---1452
मुशहरी सदर --451
पारू --429
मड़वन ---664
मीनापुर ---904
ढोली ---222
सकरा ---00
मुशहरी ग्रामीण -- 1712
मोतीपुर में सबसे अधिक अतिकुपोषित, सरैया में शून्य
मोतीपुर प्रखंड में सबसे अधिक अतिकुपोषित हैं। यहां 1968 अतिकुपोषित हंै। सरैया प्रखंड में अतिकुपोषितों की संख्या शून्य है। आइसीडीएस डीपीओ चांदनी सिंह ने कहा कि आइसीडीएस द्वारा कुपोषण को खत्म करने के लिए चरणबद्ध अभियान चलाए जा रहे हैं। पौष्टिक आहार का वितरण किया जा रहा है। गर्भवती एवं बच्चों को पौष्टिक आहार दिए जा रहे हैं। साथ ही लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। कुपोषण की संख्या में कमी आई है।