Madhubani News: चार दिनों में जानकीनगर घाट पर चलने लगी नाव, कई गांवों का संपर्क भंग
मधुबनी जिले के जानकीनगर घाट से द्वालख महपतिया समेत अन्य गांवों में जाने के लिए लोगों के लिए नाव ही है एकमात्र सहारा। कोसी नदी में उफान से किसानों की बढ़ी मुश्किलें। धान की बर्बाद हो रही फसलों को देख किसान हताश।
मधुबनी, जासं। लगातार चार दिनों से हुई मूसलाधार बारिश ने कोसी प्रभावित पंचायतों में एक बार फिर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मधुबनी जिले में प्रखंड मुख्यालय से संपर्क के लिए नाव एकमात्र साधन रह गया है। कोसी नदी ऊफान पर है। इसकी सभी सहायक धाराओं में पानी भर गया है। जिले में हजारों एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई है। जानकीनगर घाट से द्वालख, महपतिया व अन्य गांवों में जाने के लिए नाव चलना शुरू हो गया है। भेजा से भी भरगामा , टेंगराहा , बकुआ व अन्य जगहों पर जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है।
जानकीनगर घाट पर निजी नाव चालक बेचन मुखिया बताते हैं कि आज ही नाव लेकर आए हैं। द्वालख और जानकीनगर के बीच पांच से छह नावें चलती हैं। एक बार गए और आए हैं। प्रति व्यक्ति दस रुपये किराया लेता हूं। वहीं, मधेपुर से अपने घर जाने के क्रम में द्वालख गांव निवासी भूतपूर्व मुखिया दुर्गानंद झा ने बताया कि इस बेमौसम बाढ़ ने किसानों की तो कमर ही तोड़ दी है । कटने वाला धान पानी में डूब गया। अब तो नार-पुआल भी नहीं होगा । मवेशियों का क्या होगा , कुछ पता नहीं। चार दिन पहले महपतिया से मेहमाननवाजी को गई एक महिला बताती हैं कि जाते समय सब सूखा था।
चार दिन में नाव चलने लगी। यही कोसी का हाल है। कोई देखने वाला नहीं है। इस बार तो सरकार छह हजार भी नहीं दिया। कमोबेश अन्दर के सभी गांव का एक ही हाल है। दर्जनों कच्ची घरों की नींव दरक गई है। कोसी क्षेत्र में प्रायः कच्ची घर ही बना होता है । न जाने कब बाढ़ आ जाए और घर ऊजाड़ कर नई जगह आशियाना बनाना पड़े। जानकार बताते हैं कि यह बाढ़ पंचायत चुनाव के वक्त भी प्रशासन की कुछ परेशानी बढ़ा सकता है।