ग्रीन कोरिडोर से जुड़ेगा वीटीआर का मदनपुर व गनौली का क्षेत्र, केन्द्र सरकार ने दी स्वीकृति WestChamparan News

वन क्षेत्र की निरंतरता को बनाए रखने को लेकर वीटीआर प्रशासन ने शुरू की कवायद। दोनों के बीच खाली जगह होने से वन प्राणियों में नहीं हो रहा था क्रास ब्रीडिंग।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 21 Sep 2019 05:08 PM (IST) Updated:Sat, 21 Sep 2019 05:08 PM (IST)
ग्रीन कोरिडोर से जुड़ेगा वीटीआर का मदनपुर व गनौली का क्षेत्र, केन्द्र सरकार ने दी स्वीकृति WestChamparan News
ग्रीन कोरिडोर से जुड़ेगा वीटीआर का मदनपुर व गनौली का क्षेत्र, केन्द्र सरकार ने दी स्वीकृति WestChamparan News

पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वन क्षेत्रों के विकास के पीछे एक सिद्धान्त काम करता है, जिसमें वनों के निरंतरता को हर हाल में बनाए रखना है। जानकारों का मानना है कि निरंतरता को इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि वन प्राणियों के बीच क्रास ब्रीडिंग होता रहे। उनके बीच क्रास ब्रीङ्क्षडग से जो बच्चे होंगे वह काफी मजबूत होंगे। वन कानून इस सिद्धान्त को मुख्य रूप से व्यवहार में लाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए वाल्मीकि टाईगर रिजर्व प्रशासन ने मदनपुर एवं गनौली वन क्षेत्रों को जोडऩे के काम में लग गया है। इसके बीच ग्रीन कोरिडोर का निर्माण किया जाएगा। ताकि दोनों क्षेत्रों की निरंतरता बाहल हो सके। 

 इस काम के लिए वीटीआर प्रशासन ने अपनी वार्षिक कार्ययोजना में इसे शामिल कर प्रस्ताव भेजा था। इस पर केन्द्र सरकार ने 5.5 लाख रुपये की स्वीकृति दे दी है। दोनों के बीच वन क्षेत्र विकसित करने के लिए वीटीआर प्रशासन वन्य जीव अध्ययन संस्थान, देहरादून के विशेषज्ञों की मदद ले रहा है। शीघ्र संस्थान के विशेषज्ञ वीटीआर के इस क्षेत्र का करने वाले हैं। विशेषज्ञों से इस क्षेत्र में वन विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स मिलने की बात बताई गई है। इस बीच बसे गांवों के लोगों को इस क्षेत्र में खेती के पैटर्न भी बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है।

 वीटीआर का मदनपुर एवं गनौली वन क्षेत्रों के बीच दो किलोमीटर की दूरी में वनों के निरंतरता नहीं थी। ऐसे में दो अलग-अलग क्षेत्रों के वन प्राणियों का मिलन भी नहीं हो रहा था। अब दोनों के बीच वन क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। खाली पड़ी जमीन में सामगवान, सेमल, सखुआ, करंज व बेंत पौधे लगाए जाएंगे। दोनों के बीच वहां के स्थानीय स्तर के वन संपदाओं को ध्यान में रखते हुए पेड़ पौधों का चुनाव किया जा रहा है।

 बता दें कि इस वर्ष वाल्मीकि टाईगर रिजर्व के लिए केन्द्र सरकार ने करीब 14 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना स्वीकृत की है। इस राशि से वन क्षेत्रों में बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के अधिवास प्रबंधन, उसकी सुरक्षा, नए वन्य जीवों को इस क्षेत्र में शामिल करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा ध्यान ईको टूरिज्म को विकास करने में दिया जा रहा है।

 सब कुछ ठीक ठाक रहा, तो इस काम को अगले तीन माह में पूरा करा लिया जाएगा। दोनों वन क्षेत्र के बीच ग्रामीणों के द्वारा खेती की जा रही है। खेती के मामले में ग्रामीणों को अलग से क्राङ्क्षपग पैटर्न अपनाने की सलाह दी जाएगी और जहां वन लगाए जा रहे हैं, वहां की जमीन के लिए ग्रामीणों को मुआवजा भी दिया जाएगा।

 इस बारे में वाल्मीकि टाईगर रिजर्व निदेशक एचके राय ने कहा कि वीटीआर का मदनपुर एवं गनौली के क्षेत्र को प्राकृतिक वन संपदा से परिपूर्ण किया जाना है। दोनों वन क्षेत्रों के बीच निरंतरता बनी रहे, इसे ध्यान में रखते हुए यह काम किया जा रहा है। ताकि बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के मजबूत वंशज का विकास हो सके। 

chat bot
आपका साथी